ओ जंगल के राजा,
मेरी मैया को ले के आजा,
मैंने आस की ज्योत जगाई,
मेरे नैनो में माँ है समाई,
मेरे सपने सच तू बना जा,
मेरी माँ को ले के आजा आजा,
ओं जंगल के राजा,
मेरी मैया को ले के आजा ॥
हरपल माँ के संग विराजो,
धन्य तुम्हारी भक्ति है,
शक्ति का तुम बोझ उठाते,
गज़ब तुम्हारी शक्ति है,
तेरे सुन्दर नैन कटीले,
ओ रंग के पीले पीले,
मेरी माँ मुझसे मिला जा आजा,
ओं जंगल के राजा,
मेरी मैया को ले के आजा ॥
पवन रुपी माँ के प्यारे,
चाल पवन की आ जाओ,
देवों की आँखो के तारे,
आओ कर्म कमा जाओ,
आ गहनों से तुम्हे सजाऊँ,
पावों में घुंघरू पहनाऊं,
मैं बजांऊ ढोल और बाजा,
ओं जंगल के राजा,
मेरी मैया को ले के आजा ॥
पाके सन्मुख भोली माँ को,
दिल की बातें कर लूँ मैं,
प्यास बुझा लूँ जन्मों की और,
खाली झोली भर लूँ मैं,
माथे चरणों धूल लगा लूँ,
मैं सोया नसीब जगा लूँ,
मेरे दुःख संताप मिटाजा आजा,
ओं जंगल के राजा,
मेरी मैया को ले के आजा ॥
माँ कहेगी बेटा मुझको,
मैं माँ कहके बुलाऊंगा,
ममतारुपी वरदानी से,
वर मुक्ति का पाऊंगा,
सारी दुनिया से जो न्यारी,
छवि सुन्दर ‘अतुल’ प्यारी,
उस माँ का दर्श दिखा जा आजा,
ओं जंगल के राजा,
मेरी मैया को ले के आजा ॥
ओ जंगल के राजा,
मेरी मैया को ले के आजा,
मैंने आस की ज्योत जगाई,
मेरे नैनो में माँ है समाई,
मेरे सपने सच तू बना जा,
मेरी माँ को ले के आजा आजा,
ओं जंगल के राजा,
मेरी मैया को ले के आजा ॥
पूर्णिमा तिथि महीने में 1 बार आती है। इस तरह पूरे साल में कुल 12 पूर्णिमा तिथि होती है। इन्हीं पूर्णिमा तिथ्यों में से एक है पौष माह की पूर्णिमा। वैसे तो हर महीने की पूर्णिमा तिथि शुभ होती है, लेकिन इस साल पौष पूर्णिमा खास होने जा रही है।
मकर संक्रांति हिन्दुओं का प्रमुख पर्व होता है। पौष मास में जब सूर्य मकर राशि में प्रवेश करते हैं। तब ये पर्व मनाया जाता है। इस साल मकर संक्रांति का पर्व 14 जनवरी को मनाया जाएगा।
मकर संक्रांति के साथ ही खरमास का समापन होता है। जो इसे और भी शुभ बनाता है। इस दिन मांगलिक कार्य, निवेश और खरीदारी के लिए समय अनुकूल है।
हिंदू धर्म में, सूर्यदेव के राशि परिवर्तन करने की तिथि पर संक्रांति मनाई जाती है। सूर्य देव 14 जनवरी को राशि परिवर्तन करेंगे। इस शुभ अवसर पर मकर संक्रांति पूरे देश में धूम-धाम से मनाई जाएगी।