Logo

मुरली वाले ने घेर लयी, अकेली पनिया गयी (Murli Wale Ne Gher Layi)

मुरली वाले ने घेर लयी, अकेली पनिया गयी (Murli Wale Ne Gher Layi)

मुरली वाले ने घेर लयी

अकेली पनिया गयी ॥


मै तो गयी थी यमुना तट पे

कहना खड़ा था री पनघट पे

बड़ी मुझ को रे देर भई,

अकेली पनिया गयी ॥


श्याम ने मेरी चुनरी झटकी

सर से मेरे घिर गयी मटकी

बईया मेरी मरोड़ गयी

अकेली पनिया गयी ॥


बड़ा नटखट है श्याम सवारिया

दे दारी मेरी कोरी चुनरिया

मेरी गगरिया फोड़ दी

अकेली पनिया गयी ॥


लाख कही पर एक ना मानी

भरने ना दे वो मोहे पानी

मारे लाज के मै मर गयी

अकेली पनिया गयी ॥

........................................................................................................
शिव मृत्युञ्जय स्तोत्रम् (Shiv Mrityunjaya Stotram)

रत्नसानुशरासनं रजताद्रिश्रृंगनिकेतनं
शिञ्जिनीकृतपन्नगेश्वरमच्युतानलसायकम्।

लिङ्गाष्टकम् (Lingashtakam)

ब्रह्ममुरारिसुरार्चितलिङ्गं निर्मलभासितशोभितलिङ्गम् । जन्मजदुःखविनाशकलिङ्गं तत् प्रणमामि सदाशिवलिङ्गम् ॥१॥

श्री रुद्राष्टकम् (Shri Rudrashtakam)

नमामीशमीशान निर्वाणरूपं
विभुं व्यापकं ब्रह्मवेदस्वरूपम् ।

शिवाष्ट्कम्: जय शिवशंकर, जय गंगाधर.. पार्वती पति, हर हर शम्भो

जय शिवशंकर, जय गंगाधर, करुणाकर करतार हरे,
जय कैलाशी, जय अविनाशी, सुखराशी सुख-सार हरे,

यह भी जाने

संबंधित लेख

HomeAartiAartiTempleTempleKundliKundliPanchangPanchang