म्हारा कीर्तन मे रस बरसाओ,
आओ जी गजानन आओ ॥
श्लोक – सदा भवानी दाहिनी,
सनमुख रहे गणेश,
पांच देव रक्षा करे,
ब्रम्हा विष्णु महेश ॥
म्हारा कीर्तन मे रस बरसाओ,
आओ जी गजानन आओ ॥
ॐ गण गणपतये नमो नमः
श्री सिद्धिविनायक नमो नमः
अष्टविनायक नमो नमः
गणपती बप्पा मोरया ॥
रणत भंवर से आओ जी गजानन,
रणत भंवर से आओ जी गजानन,
रिद्धि सिद्धि ने संग प्रभु लाओ,
आओ जी गजानन आओ ॥
ॐ गण गणपतये नमो नमः,
श्री सिद्धिविनायक नमो नमः,
अष्टविनायक नमो नमः,
गणपती बप्पा मोरया ॥
पार्वती के पुत्र गजानन,
पार्वती के पुत्र गजानन,
भोले शंकर के मन भाओ
आओ जी गजानन आओ ॥
ॐ गण गणपतये नमो नमः
श्री सिद्धिविनायक नमो नमः
अष्टविनायक नमो नमः
गणपती बप्पा मोरया ॥
हर बुधवार देवा पूजा तुम्हारी,
हर बुधवार देवा पूजा तुम्हारी,
थारे मौदक भोग लगावा,
आओ जी गजानन आओ ॥
ॐ गण गणपतये नमो नमः
श्री सिद्धिविनायक नमो नमः
अष्टविनायक नमो नमः
गणपती बप्पा मोरया ॥
मीरा के प्रभु गिरधर नागर,
मीरा के प्रभु गिरधर नागर,
हर्ष हर्ष गुण गाओ गुण गाओ,
आओ जी गजानन आओ ॥
ॐ गण गणपतये नमो नमः
श्री सिद्धिविनायक नमो नमः
अष्टविनायक नमो नमः
गणपती बप्पा मोरया ॥
म्हारा कीर्तन में रस बरसाओ,
आओ जी गजानन आओ ॥
कुंभ जैसे विशेष अवसरों पर दिखने वाले नागा साधु कुंभ समाप्त होते ही अचानक कहां गायब हो जाते हैं? यह एक रहस्यमयी प्रश्न है। प्रयागराज में महाकुंभ के दौरान तीनों अमृत स्नान पूरे हो चुके हैं, और अब अखाड़ों का खाली होना शुरू हो गया है।
महाकुंभ मेला हिंदू धर्म का एक महत्वपूर्ण धार्मिक आयोजन है, जो हर 12 साल में चार पवित्र स्थलों - हरिद्वार, प्रयागराज, उज्जैन और नासिक में आयोजित होता है। यह आयोजन समुद्र मंथन से जुड़ी पौराणिक कथा पर आधारित है।
सनातन हिंदू धर्म में, होली का त्योहार एकता, आनंद और परंपराओं का एक भव्य उत्सव है। इसकी धूम पूरे विश्व में है। दिवाली के बाद हिंदू धर्म में दूसरे सबसे महत्वपूर्ण त्योहार के रूप में जाना जाने वाला होली बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है।
सनातन धर्म में नवरात्रि का विशेष महत्व होता है। इनमें शारदीय और चैत्र नवरात्रि विशेष धूमधाम से मनाई जाती हैं। साल में कुल चार नवरात्रियां पड़ती हैं—दो प्रत्यक्ष और दो गुप्त। नवरात्रि माघ, चैत्र, आषाढ़ और आश्विन मास में आती हैं।