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मैं तो तेरी हो गई श्याम: भजन (Me Too Teri Hogai Shayam, Dunyan Kya Jane)

मैं तो तेरी हो गई श्याम: भजन (Me Too Teri Hogai Shayam, Dunyan Kya Jane)

मैं तो तेरी हो गई श्याम,

दुनिया क्या जाने,

क्या जाने कोई क्या जाने,


क्या जाने कोई क्या जाने,

मैं तो तेरी हो गयी श्याम,

दुनिया क्या जाने ॥


तन भी तेरा ये मन भी तेरा,

घर भी तेरा ये धन भी तेरा,

मैंने जीवन कर दिया नाम,

दुनिया क्या जाने,


मैं तो तेरी हो गयी श्याम,

दुनिया क्या जाने ।

क्या जाने कोई क्या जाने,

मैं तो तेरी हो गयी श्याम,

दुनिया क्या जाने ॥


लोक लाज मैंने मान भी छोड़ा,

तेरे चरणों में मन को जोड़ा,

मैं तो रटूं तुम्हारा नाम,

दुनिया क्या जाने,


मैं तो तेरी हो गयी श्याम,

दुनिया क्या जाने ।

क्या जाने कोई क्या जाने,

मैं तो तेरी हो गयी श्याम,

दुनिया क्या जाने ॥


तू मेरा मैं तेरी होई,

तेरी प्रीत में सुध बुध खोई,

मुझे लोग करे बदनाम,

दुनिया क्या जाने,


मैं तो तेरी हो गयी श्याम,

दुनिया क्या जाने ।

क्या जाने कोई क्या जाने,

मैं तो तेरी हो गयी श्याम,

दुनिया क्या जाने ॥


शरण में आई गले लगाले,

मुझको बस सेवा में लगाले,

मेरा जीवन तेरे नाम,

दुनिया क्या जाने,


मैं तो तेरी हो गयी श्याम,

दुनिया क्या जाने ।

क्या जाने कोई क्या जाने,

मैं तो तेरी हो गयी श्याम,

दुनिया क्या जाने ॥


मैं तो तेरी हो गई श्याम,

दुनिया क्या जाने,

क्या जाने कोई क्या जाने,


क्या जाने कोई क्या जाने,

मैं तो तेरी हो गयी श्याम,

दुनिया क्या जाने ॥

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नवरात्रि सम्पूर्ण पूजन विधि

नवरात्रि माँ दुर्गा के नौ रूपों की आराधना का पावन पर्व है। भारत के विभिन्न क्षेत्रों में इसे बड़े श्रद्धा और भक्ति भाव से मनाया जाता है। एक वर्ष में चार बार नवरात्र आते हैं—चैत्र, आषाढ़, माघ और शारदीय नवरात्र।

नवरात्रि पूजन सामग्री लिस्ट

नवरात्र की नौ दिनों की अवधि में नवदुर्गा की पूजा-अर्चना की जाती है। नवरात्रि के पहले दिन मां शैलपुत्री की पूजा करने के साथ-साथ कलश स्थापना की जाती है।

नवरात्रि में कलश स्थापना कैसे करें

कलश स्थापना को शुभता और मंगल का प्रतीक माना जाता है। शास्त्रों के अनुसार, कलश में जल को ब्रह्मांड की सभी सकारात्मक ऊर्जाओं का स्रोत माना गया है।

चैत्र और शारदीय नवरात्रि में अंतर

सनातन परंपरा में नवरात्रि का पर्व वर्ष में दो बार मनाया जाता है। पहला चैत्र के महीने में, जिससे हिंदू नव वर्ष की भी शुरुआत होती है, जिसे चैत्र नवरात्रि कहा जाता है। दूसरा, आश्विन माह में आता है, जिसे शारदीय नवरात्रि कहते हैं।

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