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मैया तुमको मनावे तेरे भक्त रे(Maiya Tumko Manave Tere Bhakt Re)

मैया तुमको मनावे तेरे भक्त रे(Maiya Tumko Manave Tere Bhakt Re)

मैया तुमको मनावे तेरे भक्त रे,

तेरे भक्त रे,

ओ मेरी मैया मेरी मात रे,

मैया तुमको मनाए तेरे भक्त रे,

तेरे भक्त रे,

ओ मेरी मैया मेरी मात रे ॥


तेरा भवन मैया सूना पड़ा है,

सारा ज़माना हाथ जोड़े खड़ा है,

अब तो आजा दरस दिखा जा,

पल पल जाए बीत रे,

मैया तुमको मनाए तेरे भक्त रे,

तेरे भक्त रे,

ओ मेरी मैया मेरी मात रे ॥


तेरे दरस की आस जागी है,

तेरे नाम की लगन लगी है,

गा गा कर सब तुमको पुकारे,

रख लो हमारी लाज रे,

मैया तुमको मनाए तेरे भक्त रे,

तेरे भक्त रे,

ओ मेरी मैया मेरी मात रे ॥


दरस को नैना तरस रहे हैं,

झर झर आँसू बरस रहे हैं,

अब ना देर लगाओ माता,

प्राण ना जाए छूट रे,

मैया तुमको मनाए तेरे भक्त रे,

तेरे भक्त रे,

ओ मेरी मैया मेरी मात रे ॥


जब जब तुमको पुकारा है हमने,

तब तब तुमको पाया है हमने,

शेर सवारी करके आजा,

मन की मिटाने प्यास रे,

मैया तुमको मनाए तेरे भक्त रे,

तेरे भक्त रे,

ओ मेरी मैया मेरी मात रे ॥


मैया तुमको मनावे तेरे भक्त रे,

तेरे भक्त रे,

ओ मेरी मैया मेरी मात रे,

मैया तुमको मनाए तेरे भक्त रे,

तेरे भक्त रे,

ओ मेरी मैया मेरी मात रे ॥

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कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की प्रबोधिनी एकादशी (Kaartik Maas Ke Shukl Paksh Kee Prabodhinee Ekaadashee)

ब्रह्माजी ने कहा कि हे मनिश्रेष्ठ ! गंगाजी तभई तक पाप नाशिनी हैं जब तक प्रबोधिनी एकादशी नहीं आती। तीर्थ और देव स्थान भी तभी तक पुण्यस्थल कहे जाते हैं जब तक प्रबोधिनी का व्रत नहीं किया जाता।

माँ दुर्गा माँ काली की आरती (अम्बे तू है जगदम्बे काली)

अम्बे तू है जगदम्बे काली, जय दुर्गे खप्पर वाली ।
तेरे ही गुण गाये भारती, ओ मैया हम सब उतरें, तेरी आरती ॥

मां अम्बे गौरी जी की आरती (Maa Ambe Gauri Ji Ki Aarti)

जय अम्बे गौरी,मैया जय श्यामा गौरी।
तुमको निशिदिन ध्यावत,हरि ब्रह्मा शिवरी॥

श्री सरस्वती मैया की आरती

जय सरस्वती माता, मैया जय सरस्वती माता।
सदगुण वैभव शालिनी, त्रिभुवन विख्याता॥

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