माँ शारदे, माँ शारदे,
माँ शारदे, माँ शारदे,
ओ मैया हम तो हैं बालक तेरे माँ,
॥माँ शारदे माँ शारदे...॥
तू है दयालु बड़ी,
माँ वीणा पाणी,
करती दया हो सब पे,
अम्बे भवानी,
हो मैया विद्या का आके,
हमको भी भण्डार दे,
॥माँ शारदे, माँ शारदे...॥
करदो हमारी आज,
माँ पूरी आशा,
कब से है ‘शर्मा’ तेरे,
दर्शन का प्यासा,
ओ मैया दर्शन हमे भी,
आ के माँ एक बार दे,
॥माँ शारदे, माँ शारदे...॥
मांगे न ‘लक्खा’ तुमसे,
दौलत खजाना,
सात स्वरों का मुझको,
अमृत पिलाना,
ओ मैया मेरी ही माता के जैसा,
बस प्यार दे,
॥माँ शारदे, माँ शारदे...॥
माँ शारदे माँ शारदे,
मा शारदे माँ शारदे,
ओ मैया हम तो हैं बालक तेरे माँ,
॥माँ शारदे, माँ शारदे...॥
शबरी जयंती सनातन धर्म में महत्वपूर्ण हिंदू त्योहार है जो हर साल फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की सप्तमी तिथि को मनाया जाता है। हर साल माता शबरी के जन्मोत्सव के रूप में शबरी जयंती मनाई जाती है। हिंदू पंचांग के अनुसार, शबरी जयंती फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की सप्तमी तिथि को मनाई जाती है।
सुहागिन महिलाओं और अविवाहित लड़कियों के लिए करवा चौथ का व्रत बहुत महत्वपूर्ण है। यह व्रत कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाया जाता है।
हर वर्ष फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि के दिन जानकी जयंती मनाई जाती है। यह दिन भगवान राम की पत्नी मां सीता के जन्मदिन के रूप में मनाया जाता है।
करवा चौथ का व्रत उत्तर भारत की महिलाओं द्वारा पति की लंबी उम्र और सुखी वैवाहिक जीवन के लिए रखा जाने वाला एक महत्वपूर्ण व्रत है। यह व्रत कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि के दिन मनाया जाता है।