कर किरपा तेरे गुण गाँवा,
नानक नाम जपत सुख पाँवा,
तू वड दाता अन्तर्यामी,
सब मे हैं रविया पुरण प्रभ स्वामी,
कर किरपा तेरे गुण गाँवा
मेरे प्रभ प्रीतम प्राण अधारा,
हॅव सूंड़-सूंड़ जीवा नाम तुमारा,
कर किरपा तेरे गुण गाँवा
तेरी शरण मेरे सतगुुरु मेरे पूरे,
मन निर्मल होये संता दूरे,
कर किरपा तेरे गुण गाँवा
चरण कमल हिर्दय उरधारे,
तेरे दर्शन कऊ जाई बल्हारे,
कर किरपा तेरे गुण गाँवा
कर कृपा तेरे गुण गावा,
नानक नाम जपत सुख पावा,
कर किरपा तेरे गुण गाँवा
सुग्रीव बोले वानरों तत्काल तुम जाओ
श्री जानकी मैया का पता मिलके लगाओ
विधाता तू हमारा है,
तू ही विज्ञान दाता है ।
विंध्याचल की विंध्यवासिनी,
नमन करो स्वीकार माँ,
विनती सुनलो मेरे गणराज आज भक्ति क़ा फल दीजिये,
पहले तुमको मनाता हूँ मै देवा कीर्तन सफल कीजिए ॥