कब सुधि लोगे मेरे राम,
मैं तो नैन बिछाई तेरी राह में,
कब सुध लोगे मेरे राम ॥
नित उठ भोर को,
डगर बुहारूं,
मैं तो राह निहारूं,
विरह के दिन मैं,
रो रो गुजारूं मैं तो,
तुझको पुकारूँ,
लोगे खबर कब राम,
मैं तो नैन बिछाई तेरी राह में,
कब सुध लोगे मेरे राम ॥
थक नैन भी,
मन को निराशा अब,
होने लगी है,
देर करो ना प्रभु,
धीरज भी अब,
खोने लगी है,
अब एक दिन भी लागे साल,
मैं तो नैन बिछाई तेरी राह में,
कब सुध लोगे मेरे राम ॥
कब सुधि लोगे मेरे राम,
मैं तो नैन बिछाई तेरी राह में,
कब सुध लोगे मेरे राम ॥
श्री विश्वकर्म प्रभु वन्दऊं, चरणकमल धरिध्यान।
श्री, शुभ, बल अरु शिल्पगुण, दीजै दया निधान॥
श्री गुरु चरण सरोज छवि, निज मन मन्दिर धारि।
सुमरि गजानन शारदा, गहि आशिष त्रिपुरारि।।
श्री गुरु चरण चितलाय के धरें ध्यान हनुमान ।
बालाजी चालीसा लिखे “ओम” स्नेही कल्याण ।।
बन्दहुँ वीणा वादिनी धरि गणपति को ध्यान |
महाशक्ति राधा सहित, कृष्ण करौ कल्याण ||