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जो राम को लाए है, हम उनको लाएंगे (Jo Ram Ko Laye Hai Hum Unko Layenge)

जो राम को लाए है, हम उनको लाएंगे (Jo Ram Ko Laye Hai Hum Unko Layenge)

जो राम को लाए है,

हम उनको लाएंगे,

दुनिया में फिर से हम,

भगवा लहराएंगे,

यूपी में फिर से हम,

भगवा लहराएंगे ॥


अयोध्या भी सजा दी है,

काशी भी सजा दी है,

मेरे श्याम कृपा कर दो,

घनश्याम कृपा कर दो,

मथुरा भी सजाएंगे,

यूपी में फिर से हम,

भगवा लहराएंगे ॥


भगवा है चोला जिनका,

बस राम की बात करे,

हिन्दू है हिन्दू हम,

बस राम की बात करे,

यूपी में फिर से हम,

भगवा लहराएंगे ॥


ऊपर से नहीं है राम,

अंदर से राम के है,

बस इसीलिए योगी,

बन्दे कमाल के है,

यूपी में फिर से हम,

भगवा लहराएंगे ॥


योगी जी आए है,

योगी ही आएँगे,

संतो की नगरी को,

बाबा जी चलाएंगे,

यूपी में फिर से हम,

भगवा लहराएंगे ॥


जो राम को लाए है,

हम उनको लाएंगे,

दुनिया में फिर से हम,

भगवा लहराएंगे,

यूपी में फिर से हम,

भगवा लहराएंगे। ॥

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गुरुवायुर एकादशी मंदिर की पौराणिक कथा

"दक्षिण का स्वर्ग" कहे जाने वाले अतिसुन्दर राज्य केरल में गुरुवायुर एकादशी का पर्व पूरी आस्था के साथ मनाया जाता है। यह पर्व गुरुवायुर कृष्ण मंदिर में विशेष रूप से मनाया जाता है, जो भगवान श्रीकृष्ण को समर्पित है।

मत्स्य द्वादशी पर कैसे करें विष्णु पूजा

त्स्य द्वादशी पर सही तरीके से पूजा करने से भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है और वे प्रसन्न होते हैं। इससे जीवन में सुख-समृद्धि, शांति और आध्यात्मिक ज्ञान की प्राप्ति होती है।

क्यों मनाई जाती है मत्स्य द्वादशी?

मार्गशीर्ष महीने के शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि को मनाई जाने वाली मत्स्य द्वादशी भगवान विष्णु के मत्स्य अवतार की जयंती के रूप में मनाई जाती है।

मत्स्य द्वादशी कब है

भगवान विष्णु के 24 अवतारों में से एक मत्स्य अवतार की जयंती के रूप में मनाया जाने वाला मत्स्य द्वादशी पर्व इस साल दिसंबर में मनाया जाएगा। यह पर्व मार्गशीर्ष मास के शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि को मनाया जाता है ।

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