जय जगजननी माँ,
भवानी मैय्या शारदा हो माँ,
अंबे जगदंबे जगदंबिके,
जग की पालनहार,
भवानी मैय्या शारदा हो माँ,
जय जगजननी मां,
भवानी मैय्या शारदा हो माँ ॥
नवदुर्गा माँ मंगलकारी,
सिंहसवारी सब पे भारी,
शक्तिशाली अपार,
भवानी मैय्या,
ऊंची पहाडी पे द्वार,
भवानी मैय्या शारदा हो माँ,
जय जगजननी मां,
भवानी मैय्या शारदा हो माँ ॥
नवदुर्गे माँ नौरूप तेरे,
नौरंगी माँ नौरंग तेरे,
लिला अपरंपार,
ओ मैय्या तेरी,
महिमा अपरंपार,
भवानी मैय्या शारदा हो माँ,
जय जगजननी मां,
भवानी मैय्या शारदा हो माँ ॥
अश्विन चैत्र महिना आवे,
नौरात्री के नौ दिन आवे,
मेला लगे तेरे द्वार,
भवानी मैय्या,
भगत करे जयकार,
भवानी मैय्या शारदा हो माँ,
जय जगजननी मां,
भवानी मैय्या शारदा हो माँ ॥
भगतो की माँ सुनलो अरजीया,
दौडे दौडे आये मैय्या तेरी मढीयाँ,
धन के भरो भंडार,
भवानी मैय्या,
हरलो क्लेश विकार,
भवानी मैय्या शारदा हो माँ,
जय जगजननी मां,
भवानी मैय्या शारदा हो माँ ॥
जय जगजननी माँ,
भवानी मैय्या शारदा हो माँ,
अंबे जगदंबे जगदंबिके,
जग की पालनहार,
भवानी मैय्या शारदा हो माँ,
जय जगजननी मां,
भवानी मैय्या शारदा हो माँ ॥
हिंदू धर्म में देवी-देवताओं की कृपा के बिना कोई भी शुभ काम सफल नहीं होता है इसलिए, घर बनाने से पहले भूमि पूजन करना बहुत जरूरी है। इस अनुष्ठान से नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है और घर में सुख-शांति आती है।
सरस्वती नदी का उल्लेख विशेष रूप से ऋग्वेद, महाभारत, और विष्णु पुराण जैसे ग्रंथों में किया गया है। वेदों में इसे एक दिव्य नदी के रूप में पूजा गया है और यह ज्ञान, कला और संगीत की देवी सरस्वती से जुड़ी हुई मानी जाती है।
राधे जय जय माधव-दयिते
गोकुल-तरुणी-मंडल-महिते
गलियां चारों बंद हुई,
मिलूं कैसे हरी से जाये ।