जब मन मेरा घबराए,
कोई राह नज़र ना आये,
ये हाथ पकड़ कर मेरा,
मुझे मंज़िल तक ले जाये,
ये बाबा तो मेरा रखवाला है,
मुझे पल पल संभाला हैं ॥
कोई भी पास नहीं था,
तब ये ही साथ खड़ा था
मुझ दीन हीन कि खातिर,
दीनो का नाथ लड़ा था,
मेरे सिर पे हाथ फिराया,
मुझे अपने गले लगाया,
मैं हर दम साथ हूँ तेरे,
मुझको एहसास कराया,
ये बाबा तो मेरा रखवाला है,
मुझे पल पल संभाला हैं ॥
दर्दो को सहते सहते,
कितना मैं टूट गया था,
रो रो कर इन आँखों का,
हर आंसू सूख गया था,
मेरे श्याम ने मुझे निहारा,
दुःख मेट दिया है सारा,
अब इसके भरोसे छोड़ा,
मैंने ये जीवन सारा,
ये बाबा तो मेरा रखवाला है,
मुझे पल पल संभाला हैं ॥
मेरे मन के उपवन का,
मेरा श्याम बना है माली,
इनकी शीतल छाया में,
महकी हैं डाली डाली,
‘आनंद’ का फूल खिलाया,
जीवन मधुबन है बनाया,
अपनी किरपा का अमृत,
मुझ पर है खूब लुटाया,
ये बाबा तो मेरा रखवाला है,
मुझे पल पल संभाला हैं ॥
अंतिम अरदास यही है,
मेरे श्याम का ही हो जाऊं,
गोदी में श्याम प्रभु की,
मैं सर रख कर सो जाऊं,
मुझे देख श्याम मुस्काये,
मेरी रूह चैन तब पाए,
फिर ‘तरूण’ श्याम मस्ती में,
लेकर इकतारा गाये,
ये बाबा तो मेरा रखवाला है,
मुझे पल पल संभाला हैं ॥
जब मन मेरा घबराए,
कोई राह नज़र न आये,
ये हाथ पकड़ कर मेरा,
मुझे मंज़िल तक ले जाये,
ये बाबा तो मेरा रखवाला है,
मुझे पल पल संभाला हैं ॥
प्रयागराज में महाकुंभ की शुरुआत हो चुकी है। करोड़ों श्रद्धालु और लाखों साधु संत त्रिवेणी संगम पर स्नान करने के लिए पहुंचने वाले हैं। यह परंपरा सदियों से चली आ रही है। इसका सीधा संबंध देवताओं से जुड़ा हुआ है।
महाकुंभ 2025 की शुरुआत 13 जनवरी से हो रही है। इस पवित्र अवसर पर लाखों श्रद्धालु संगम तट पर एकत्र होने के लिए तैयार हैं। यदि आप भी इस आध्यात्मिक महासमागम का हिस्सा बनने जा रहे हैं, तो प्रयागराज के इन 5 प्रसिद्ध मंदिरों के दर्शन करना न भूलें।
महाकुंभ 2025 का आयोजन प्रयागराज में हो रहा है। प्रयाग को हिंदू धर्म में तीर्थों का राजा कहा जाता है। यह शहर हजारों मंदिरों के साथ ऐतिहासिक और पौराणिक कथाओं का केंद्र भी रहा है। हर साल यहां लाखों श्रद्धालु मोक्ष प्राप्ती के लिए आते हैं।
हर 12 साल में कुंभ का आयोजन होता है। यह हिंदू धर्म के लोगों का सबसे बड़ा समागम है। इसे आध्यात्मिक ऊर्जा और आस्था का पर्व कहा जाता है। महाकुंभ में लाखों श्रद्धालु विभिन्न तीर्थों में गंगा, यमुना और सरस्वती के संगम पर स्नान करने के लिए आते हैं ।