हे शिव शंकर भोले बाबा,
मैं तेरे गुण गाऊं,
ऐसा वर दे इन चरणों में,
ऐसा वर दे इन चरणों में,
सगरे जनम बिताऊं,
हे शिव शंकर भोलें बाबा,
मैं तेरे गुण गाऊं ॥
सोऽहं कहके मैं जन्मी थी,
तूने शिवम बताया,
धन्य भया ये जीवन मेरा,
सारा भरम मिटाया,
किरपा कर तू कर दे मुझपे,
किरपा कर तू कर दे मुझपे,
भव सागर तर जाऊं,
हे शिव शंकर भोलें बाबा,
मैं तेरे गुण गाऊं ॥
द्वंद्व द्वेष सब मिट गए मेरे,
द्वार पे आके तेरे,
जन्म जन्म की धुंध छटी है,
पाप कटे है मेरे,
कुछ ऐसा कर दे हे भोले,
कुछ ऐसा कर दे हे भोले,
परम शांति मैं पाऊं,
हे शिव शंकर भोलें बाबा,
मैं तेरे गुण गाऊं ॥
सदा मांगती रही मैं तुझसे,
ऋणी रही मैं तेरी,
दयानिधि कल्याण करो अब,
सुन लो विनती मेरी,
मेरे सर पे ऋण है तेरा,
मेरे सर पे ऋण है तेरा,
कैसे उसे चुकाऊं,
हे शिव शंकर भोलें बाबा,
मैं तेरे गुण गाऊं ॥
हे शिव शंकर भोले बाबा,
मैं तेरे गुण गाऊं,
ऐसा वर दे इन चरणों में,
ऐसा वर दे इन चरणों में,
सगरे जनम बिताऊं,
हे शिव शंकर भोलें बाबा,
मैं तेरे गुण गाऊं ॥
श्री गणेश गिरिजा सुवन, मंगल मूल सुजान।
कहत अयोध्यादास तुम, देहु अभय वरदान।।
नमो नमो दुर्गे सुख करनी। नमो नमो दुर्गे दुःख हरनी॥
निरंकार है ज्योति तुम्हारी। तिहूं लोक फैली उजियारी॥
जनक जननि पद कमल रज, निज मस्तक पर धारि।
बन्दौं मातु सरस्वती, बुद्धि बल दे दातारि॥
विष्णु सुनिए विनय सेवक की चितलाय ।
कीरत कुछ वर्णन करूं दीजै ज्ञान बताय ॥