हाथी घोड़ा पालकी,जय कन्हैया लाल की ॥
आनंद उमंग भयो जय कन्हैया लाल की,
नंद के आनंद भयो जय यशोदा लाल की,
आनंद उमंग भयो जय कन्हैया लाल की,
नंद के आनंद भयो जय यशोदा लाल की,
हे ब्रज में आनंद भयो जय यशोदा लाल की,
ए आनंद उमंग भयो जय कन्हैया लाल की,
जय हो नंदलाल की जय यशोदा लाल की,
जय हो नंदलाल की जय यशोदा लाल की,
हाथी घोडा पालकी जय कन्हैया लाल की ॥
कोटि ब्रहमाण्ड के अधिपति लाल की,
हाथी घोडा पालकी जय कन्हैया लाल की,
कोटि ब्रहमाण्ड के अधिपति लाल की,
हाथी घोडा पालकी जय कन्हैया लाल की,
ए गौवे चराने आयो जय यशोदा लाल की,
गोकुल मे आनंद भयो जय कन्हैया लाल की,
गैया चराने आयो जय यशोदा लाल की ॥
पूनम की चन्द्र जैसी शोभा है गोपाल की,
हाथी घोडा पालकी जय कन्हैया लाल की,
पूनम की चन्द्र जैसी शोभा है गोपाल की,
हाथी घोडा पालकी जय कन्हैया लाल की,
हे आनंद उमंग भयो जय कन्हैया लाल की,
गोकुल मे आनंद भयो जय कन्हैया लाल की ॥
भक्त के आनंद कंद जय यशोदा लाल की,
हाथी घोडा पालकी जय कन्हैया लाल की,
भक्त के आनंद कंद जय यशोदा लाल की,
हाथी घोडा पालकी जय कन्हैया लाल की,
गोकुल मे आनंद भयो जय यशोदा लाल की ॥
आनंद से बोलो सब जय हो ब्रज लाल की,
हाथी घोडा पालकी जय कन्हैया लाल की,
आनंद से बोलो जय हो ब्रज लाल की,
हाथी घोडा पालकी जय कन्हैया लाल की,
जय हो ब्रज लाल की जय हो प्रतीपाल की,
गोकुल मे आनंद भयो जय कन्हैया लाल की ॥
आनंद उमंग भयो जय कन्हैया लाल की,
नंद के आनंद भयो जय यशोदा लाल की,
आनंद उमंग भयो जय कन्हैया लाल की,
नंद के आनंद भयो जय यशोदा लाल की,
हे ब्रज में आनंद भयो जय यशोदा लाल की,
ए आनंद उमंग भयो जय कन्हैया लाल की,
जय हो नंदलाल की जय यशोदा लाल की,
जय हो नंदलाल की जय यशोदा लाल की,
हाथी घोड़ा पालकी, जय कन्हैया लाल की ॥
माता जानकी का जन्म अष्टमी तिथि को हुआ था, जब राजा जनक ने एक दिन खेत जोतते समय एक कन्या को पाया। उन्होंने उसे अपनी पुत्री के रूप में स्वीकार किया और उसका पालन-पोषण किया।
हिंदू धर्म में जानकी जयंती का विशेष महत्व है, जिसे माता सीता के अवतरण का दिन माना जाता है। इस दिन व्रत, पूजा-पाठ और दान-पुण्य का विशेष महत्व है।
हिंदू धर्म में जानकी जयंती का बहुत महत्व है। इस पर्व को माता सीता के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है। साल 2025 में जानकी जयंती आज यानी 21 फरवरी, शुक्रवार को मनाई जाएगी।
हिंदू धर्म में भगवान राम और माता सीता की पूजा बहुत शुभ और कल्याणकारी मानी गई है। देवी सीता को जानकी के नाम से भी जाना जाता है, वे जगत जननी मां लक्ष्मी का स्वरूप हैं।