चोला माटी के हे राम,
एकर का भरोसा,
चोला माटी के हे रे,
चोला माटी के हे हो,
हाय चोला माटी के हें राम,
एकर का भरोसा,
चोला माटी के हे रे ॥
द्रोणा जइसे गुरू चले गे,
करन जइसे दानी संगी,
करन जइसे दानी,
बाली जइसे बीर चले गे,
रावन कस अभिमानी,
चोला माटी के रे,
एकर का भरोसा,
चोला माटी के हे रे ॥
कोनो रिहिस ना कोनो रहय भई,
आही सब के पारी,
एक दिन आही सब के पारी,
काल कोनो ल छोंड़े नहीं संगी,
राजा रंक भिखारी,
चोला माटी के रे,
एकर का भरोसा,
चोला माटी के हे रे ॥
भव से पार लगे बर हे ते,
हरि के नाम सुमर ले संगी,
हरि के नाम सुमर ले,
ए दुनिया मा आके रे पगला,
जीवन मुक्ती कर ले,
चोला माटी के रे,
एकर का भरोसा,
चोला माटी के हे रे ॥
चोला माटी के हे राम,
एकर का भरोसा,
चोला माटी के हे रे,
चोला माटी के हे हो,
हाय चोला माटी के हें राम,
एकर का भरोसा,
चोला माटी के हे रे ॥
भगवान शिव के रुद्राभिषेक से लेकर साधारण पूजा तक उनको अर्पित की जाने वाली प्रत्येक सामग्री का विशेष ध्यान रखा जाता है। शास्त्रों में शिव को अर्पित होने वाली प्रत्येक सामग्री का महत्व बताया गया है।
हिंदू धर्म में गाय को अत्यंत पूजनीय और पवित्र माना गया है। इसे केवल एक पशु नहीं, बल्कि मां का दर्जा दिया गया है। भारतीय समाज में गाय का स्थान इतना महत्वपूर्ण है कि इसकी पूजा की जाती है और इसे देवी का स्वरूप माना जाता है।
कुंभ का मेला आध्यात्मिकता और धार्मिक परंपराओं का जीवंत स्वरूप है। कुंभ के अवसर पर शाही स्नान का आयोजन होता है, जिसमें देशभर के साधु-संत विभिन्न अखाड़ों के माध्यम से शामिल होते हैं।
हिंदू धर्म में वाराणसी को धर्म की नगरी कहा जाता है। जो सबसे पवित्र स्थानों में एक माना जाता है। वाराणसी का पुराना नाम काशी है। काशी को प्रकाश का स्थान भी कहा जाता है। यहां भगवान शिव का मंदिर है।