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उठ जाग मुसाफिर भोर भई (Bhajan: Uth Jag Musafir Bhor Bhai)

उठ जाग मुसाफिर भोर भई  (Bhajan: Uth Jag Musafir Bhor Bhai)

उठ जाग मुसाफिर भोर भई,

अब रैन कहाँ जो सोवत है ।

जो सोवत है सो खोवत है,

जो जागत है सोई पावत है ॥


उठ नींद से अखियाँ खोल जरा,

और अपने प्रभु में ध्यान लगा ।

यह प्रीत करन की रीत नहीं,

प्रभु जागत है तू सोवत है ॥


उठ जाग मुसाफिर भोर भई,

अब रैन कहाँ जो सोवत है ।

जो सोवत है सो खोवत है,

जो जगत है सोई पावत है ॥


जो कल करना सो आज कर ले,

जो आज करे सो अब कर ले ।

जब चिड़िया ने चुग खेत लिया,

फिर पछताए क्या होवत है ॥


उठ जाग मुसाफिर भोर भई,

अब रैन कहाँ जो सोवत है ।

जो सोवत है सो खोवत है,

जो जगत है सोई पावत है ॥


नादान भुगत अपनी करनी,

ऐ पापी पाप में चैन कहाँ ।

जब पाप की गठड़ी शीश धरी,

अब शीश पकड़ क्यूँ रोवत है ॥


उठ जाग मुसाफिर भोर भई,

अब रैन कहाँ जो सोवत है ।

जो सोवत है सो खोवत है,

जो जगत है सोई पावत है ॥

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परशुराम ने सहस्त्रबाहु का वध क्यों किया था

हिंदू धर्म में भगवान परशुराम महान योद्धा और ऋषियों में से एक माने जाते हैं। वे भगवान विष्णु के छठे अवतार हैं, जिन्हें धर्म की रक्षा और अधर्म के विनाश के लिए जाना जाता है।

भगवान परशुराम की 5 कथाएं

परशुराम जयंती हर साल भगवान विष्णु के छठे अवतार भगवान परशुराम की जयंती के रूप में अक्षय तृतीया की शुभ तिथि पर मनाई जाती है। इस साल यह पर्व 29 अप्रैल को पड़ रहा है।

श्रीराम पर क्यों क्रोधित हुए थे परशुराम

भगवान परशुराम भगवान विष्णु के छठे अवतार माने जाते हैं, जिनका जन्म ब्राह्मण कुल में हुआ था लेकिन उन्होंने क्षत्रिय धर्म अपनाया था। भगवान परशुराम के जन्म का उद्देश्य अधर्म और अत्याचार का अंत करना था।

परशुराम ने श्रीकृष्ण को दिया था सुदर्शन चक्र

भगवान परशुराम हिन्दू धर्म के प्रमुख अवतारों में से एक हैं, जिन्हें भगवान विष्णु का छठा अवतार माना जाता है। परशुराम जी का जन्मदिन हर वर्ष वैशाख शुक्ल तृतीया को मनाया जाता है, जिसे परशुराम जयंती के नाम से जाना जाता है।

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