Logo

सूर्य नारायण मंदिर- आंध्र प्रदेश (Surya Narayana Temple- Andhra Pradesh)

सूर्य नारायण मंदिर- आंध्र प्रदेश (Surya Narayana Temple- Andhra Pradesh)

आंध्र प्रदेश में श्रीकाकुलम जिले में अरसावल्ली गांव से 1 किमी पूर्व दिशा में भगवान सूर्य का मंदिर है। ये मंदिर करीबन 1 हजार साल से ज्यादा पुराना मंदिर है। अरसावल्ली सूर्य मंदिर को भगवान सूर्य की पूजा के लिए सजाया गया है, जो दुनिया के लिए सौर ऊर्जा का स्त्रोत है। ये मंदिर उत्तरी आंध्र प्रदेश के छोर पर है। यह एक प्राचीन मंदिर है जो सूर्य देवता के दो मंदिरो में से एक है। पद्म पुराण के अनुसार ऋषि कश्यप ने अयाह सूर्य देवता की प्रतिमा स्थापित की थी। इसीलिए सूर्य कश्यप गोत्र के कहलाते हैं। सूर्य ग्रहो के राजा है। स्थल पुराणों के अनुसार देव इंद्र ने इस मंदिर की खोज की और यहां सूर्य को स्थापित किया इसीलिए यहां भगवान सूर्यनारायण स्वामी वरु के नाम से जाने जाते है।  


सूर्य मंदिर का इतिहास


ये मंदिर 7वीं शताब्दी में कलिंग साम्राज्य के शासक देवेंद्र वर्मा ने बनवाया था। मंदिर में मौजूद पत्थर के शिलालेखों से पता चलता है कि राजा देवेंद्र वर्मा ने यहां वैदिक छात्रों के लिए स्कूल बनवाने के लिए भी जमीन दान दी थी। मंदिर में पंचदेवों की मूर्तियां भी स्थापित है। इस कारण सौर, शैव, शाक्त, वैष्णव और गाणपत्य संप्रदाय के लोगों के लिए भी ये मंदिर बहुत खास है। अरसवल्ली सूर्य मंदिर में भगवान सूर्य की 5 फीट ऊंची मूर्ति स्थापित है। इस मूर्ति का मुकुट शेषनाग के फन का बना हुआ है। मूर्ति के साथ उनकी दोनों पत्नियों, उषा और छाया की मूर्तियाां भी है। इस मंदिर में भगवान सूर्य के अलावा भगवान विष्णु, गणेश, शिव और देवी दुर्गा की मूर्तियां भी है। इस मंदिर का निर्माण इस तरह के किया गया है कि जिससे सुबह सूर्य की किरणे भगवान के चरणों में साल में दो बार पड़े। ये किरण 5 मुख्य द्वारो के होकर देव के चरणों तक पहुंचती हैं। 


सूर्य मंदिर का महत्व


भगवान सूर्य का मंदिर अपनी उपचार शक्तियों के लिए पूजनीय है, जो आंखों और त्वचा की बीमारियों के पीड़ित लोगों को अपनी ओर आकर्षित करता है। लोगों का मानना है कि सूर्य भगवान को पूजने से उनकी परेशानी कम हो सकती है। द्वापर युग के पुराम के अनुसार, मंदिर की उत्पत्ति भगवान विष्णु के अवतार बलराम से जुड़ी हुई है, जिन्होंने इसे नागावली नदी के तट पर बनाया था। एक दैवीय मुठभेड़ में, देर से पहुंचने पर भगवान इंद्र को नंदी पर्वत के प्रतिरोध का सामना करना पड़ा, जिससे भगवान रुद्र के व्यस्त होने के कारण नहीं जा सकें। भगवान इंद्र जिद पर अड़े रहे , नंदी ने उन्हें लात मारी, जिससे वह हवा में उड़ कर पूर्व की ओर चले गए। दर्द में इंद्र ने भगवान सूर्य से प्रार्थना की, जिनकी किरणों ने उन्हें ठीक कर दिया। फिर इंद्र ने सूर्य से रुकने का आग्रह किया, जिससे इंद्र की प्रशंसा और सूर्य की उपचारात्मक कृपा के स्थायी प्रतीक के रुप में मंदिर का निर्माण हुआ।


सूर्य मंदिर में पत्नियों के साथ पूजे जाते है भगवान


माना जाता है कि ये देश का एकमात्र ऐसा सूर्य मंदिर है जहां आज भी पूरे विधि-विधान से भगवान सूर्य की पूजा की जाती है। ये भी माना जाता है कि इस मंदिर में 43 दिनों तक सूर्य नमस्कार करने के साथ ही इंद्र पुष्करणी कुंड में नहाने से आंखो और स्किन की बिमारियों से राहत मिलती है। वहीं इस, मंदिर में लंबे काले ग्रेनाइट पत्थर से कमल का फूल बना है। जिस पर भगवान आदित्य की 5 फीट ऊंची मूर्ति स्थापित है। यहां पर भगवान सूर्य की पूजा उनकी दोनों पत्नियों के साथ होती है। 


सूर्य मंदिर के बारे में कुछ रोचक बातें


  1. साल में दो बार सूर्य देव के पैर सुबह के सूरज से रोशन होते है। और द्वार बंद कर दिए जाते हैं।
  2. फरवरी या मार्च में वार्षिक रथोत्सव में सूर्यनारायण स्वामी की मूर्ति का रथ जुलूस निकाला जाता है। जिसमें हजारों भक्त उपस्थित होते हैं।
  3. जून या जुलाई की रत यात्रा नौ दिनों तक चलती है, जिसमें देवता के साथ एक भव्य रथ जुलूस , रग-बिरंगे जुलूस और सांस्कृतिक कार्यक्रम होते है।
  4. अप्रैल-मई में मनाई जाने वाली जयंती प्रार्थनाओं, सजावट और पवित्र तालाब में भक्तों के डुबकू लगाने के साथ सूर्य भगवान के जन्मदिन का प्रतीक है। मंदिर में दशहरा, कार्तिक पूर्णिमा, मकर संक्रांति और महा शिवरात्रि जैसे त्यौहार मनाए जाते हैं। 


सूर्य नारायण मंदिर के लिए पूजा का समय


सूर्य नारायण मंदिर सुबह 6 बजे से दोपहर 12:30 बजे तक खुला रहता है। वहीं दोपहर 3:30 बजे से रात 8 बजे तक मंदिर खुला रहता है। इ, मंदिर में दर्श के लिए किसी भी तरह का कोई शुल्क नहीं लगता है। 


सूर्य नारायण स्वामी मंदिर कैसे पहुंचे


हवाई मार्ग - सूर्य नारायण स्वामी मंदिर पहुंचने के लिए सबसे पास का एयरपोर्ट विशाखापत्तनम है। यहां पहुंचकर आप मंदिर के लिए टैक्सी, बस या अन्य सार्वजनिक परिवहन विकल्प ले सकतें हैं। 


रेल मार्ग - आंध्र प्रदेश में रेल नेटवर्क बड़ा है। मंदिर पहुंचने के लिए श्रीकाकुलम एक नजदीकी रेलवे स्टेशन है जो मंदिर से 13 किमी की दूरी पर है।


सड़क मार्ग - अरासवल्ली श्रीकाकुलम से लगभग 3 किमी दूर है, जहां से मंदिर तक पहुंचने के लिए बस सेवा उपलब्ध हैं।


........................................................................................................
मेरे राघव जी उतरेंगे पार, गंगा मैया धीरे बहो(Mere Raghav Ji Utrenge Paar, Ganga Maiya Dheere Baho)

मेरे राघव जी उतरेंगे पार,
गंगा मैया धीरे बहो,

मेरे राम इतनी किरपा करना, बीते जीवन तेरे चरणों में(Mere Ram Itni Kripa Karna Beete Jeevan Tere Charno Me)

मेरे राम इतनी किरपा करना,
बीते जीवन तेरे चरणों में ॥

मेरे राम की सवारी (Mere Ram Ki Sawari)

हे उतर रही हे उतर रही
मेरे राम की सवारी हो

मेरे राम मेरे घर आएंगे, आएंगे प्रभु आएंगे(Mere Ram Mere Ghar Ayenge Ayenge Prabhu Ayenge)

मेरे राम मेरे घर आएंगे,
आएंगे प्रभु आएंगे

यह भी जाने

संबंधित लेख

HomeAartiAartiTempleTempleKundliKundliPanchangPanchang