॥ श्री गिरिराज आरती ॥
ॐ जय जय जय गिरिराज,स्वामी जय जय जय गिरिराज।
संकट में तुम राखौ, निज भक्तन की लाज॥
ॐ जय जय जय गिरिराज...॥
इन्द्रादिक सब सुर मिल, तुम्हरौं ध्यान धरैं।
रिषि मुनिजन यश गावें, ते भवसिन्धु तरैं॥
ॐ जय जय जय गिरिराज...
सुन्दर रूप तुम्हारौ, श्याम सिला सोहें।
वन उपवन लखि-लखि के, भक्तन मन मोहें॥
ॐ जय जय जय गिरिराज...
मध्य मानसी गङ्गा, कलि के मल हरनी।
तापै दीप जलावें, उतरें वैतरनी॥
ॐ जय जय जय गिरिराज...
नवल अप्सरा कुण्ड सुहावन, पावन सुखकारी।
बायें राधा-कुण्ड नहावें, महा पापहारी॥
ॐ जय जय जय गिरिराज...
तुम्ही मुक्ति के दाता, कलियुग के स्वामी।
दीनन के हो रक्षक, प्रभु अन्तरयामी॥
ॐ जय जय जय गिरिराज...
हम हैं शरण तुम्हारी, गिरिवर गिरधारी।
देवकीनंदन कृपा करो, हे भक्तन हितकारी॥
ॐ जय जय जय गिरिराज...
जो नर दे परिक्रमा, पूजन पाठ करें।
गावें नित्य आरती, पुनि नहिं जनम धरें॥
ॐ जय जय जय गिरिराज...
ॐ जय जय जय गिरिराज,स्वामी जय जय जय गिरिराज। संकट में तुम राखौ, निज भक्तन की लाज॥
बोलिये वृन्दावन बिहारीलाल की जय
हिंदू धर्म में चतुर्दशी तिथि का विशेष महत्व है। मासिक शिवरात्रि का व्रत भगवान शिव के प्रति भक्ति और आस्था का प्रतीक है। इस दिन विधिपूर्वक पूजा और व्रत करने वाले श्रद्धालुओं की मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
सनातन धर्म में मौनी अमावस्या बहुत महत्वपूर्ण मानी जाती है। हिंदू धर्म शास्त्रों में इस दिन स्नान और दान की पंरपरा सदियों से चली आ रही है। मौनी अमावस्या के दिन पितृ धरती पर आते हैं।
हिंदू कैलेंडर के अनुसार, माघ का महीना 11वां होता है। इस माह में पड़ने वाले व्रत का विशेष महत्व होता है। इनमें मौनी अमावस्या भी शामिल है। माघ माघ की अमावस्या को मौनी अमावस्या भी कहा जाता है।
हिंदू धर्म में कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को भगवान शिव को समर्पित किया गया है। इस दिन को हर महीने मासिक शिवरात्रि के रूप में मनाया जाता है। भक्तगण इस दिन व्रत रखते हैं और भोलेनाथ की पूजा-अर्चना करते हैं।