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कैंची धाम, नैनीताल (Kainchi Dham, Nainital)

कैंची धाम, नैनीताल (Kainchi Dham, Nainital)

चमत्कार और रहस्यों से भरा कैंची धाम, खाली हाथ जाएंगे झोली भरकर लाएंगे!


उत्तराखंड के नैनीताल जिले में एक ऐसा अद्भुत मंदिर है, जहां दुनिया के बड़े-बड़े सेलिब्रिटी से लेकर विदेशों से भी लोग दर्शन करने के लिए आते हैं। यह पावन तीर्थस्थल "कैंची धाम" के नाम से जाना जाता है। कैंची धाम को लेकर मान्यता है कि यहां आने वाला व्यक्ति कभी भी खाली हाथ वापस नहीं लौटता है। "कैंची धाम" के नीब करौरी बाबा (नीम करौली) की ख्याति विश्वभर में प्रसिद्ध है। बता दें कि बाबा नीम करौली 20वीं सदी के महान संतों में गिने जाते हैं। बाबा कलयुग में हनुमान जी के अवतार हैं जो समय-समय पर अपने भक्तों के साथ चमत्कार करके उन पर कृपा करते हैं। कई लोग जीवन का उद्देश्य ढूंढने यहां आते हैं, जैसा कि फेसबुक वाले मार्क जुकरबर्ग ने किया था। नीम करौली बाबा के चमत्कारों और उनकी शक्तियों की कई कहानियां प्रचलित हैं, आइए ऐसी ही एक कहानी के बारे में हम आपको बताते हैं...

कौन थे नीम करौली बाबा?


नीम करोली बाबा का वास्तविक नाम लक्ष्मीनारायण शर्मा था। उत्तरप्रदेश के अकबरपुर गांव में उनका जन्म 1900 के आसपास हुआ था। उनके पिता का नाम दुर्गा प्रसाद शर्मा था। 11 वर्ष की कम उम्र में ही बाबा का विवाह हो गया था। बता दें कि 17 वर्ष की उम्र में ही उन्हें ज्ञान की प्राप्ति हो गई थी। फिर 1958 में बाबा ने अपने घर को त्याग दिया और पूरे उत्तर भारत में साधुओं की भांति विचरण करने लगे थे। उत्तराखंड के नैनीताल के पास कैंची धाम में बाबा नीम करौली 1961 में पहली बार आए और उन्होंने अपने पुराने मित्र पूर्णानंद जी के साथ मिलकर यहां आश्रम बनाने का विचार किया। बाबा नीम करौली ने इस आश्रम की स्थापना 1964 में की थी। यहां बाबा का समाधि स्थल भी है। उन्होंने 10 सितंबर 1973 को शरीर त्यागकर महासमाधि ले ली थी। उनके महासमाधि लेने के बाद उनके अस्थिकलश को धाम में ही स्थापित किया गया था। इसके बाद 1974 से बड़े स्तर पर मंदिर का निर्माण कार्य शुरू किया गया। यहां बाबा नीम करौली की भी एक भव्य मूर्ति स्थापित की गई है, साथ ही यहां हनुमान जी की मूर्ति भी है।

नीम करौली बाबा के चमत्कार


कहा जाता है कि कैंची धाम में एक बार भंडारा चल रहा था और घी कम पड़ गया। बाबा ने नदी से पानी भरकर लाने को कहा। भक्त बड़े-बड़े कनस्तर में पानी भरकर लाए और पानी घी बन गया।

कैसे पहुंचे


ट्रेन से कैंची धाम का सफर तय करना है तो निकटतम रेलवे स्टेशन काठगोदाम है। काठगोदाम से 38 किलोमीटर दूर नीम करौली आश्रम है। अगर आप हवाई सेवा चाहते हैं तो कैंची धाम से सबसे करीब 70 किमी दूर पंतनगर हवाई अड्डा है। कैंची धाम तक पहुंचने के लिए यहां से आसानी से टैक्सी या बस मिल जाएगी।

समय : सुबह 5:00 बजे से शाम 4:00 बजे तक
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शाम को क्यों नहीं लगाई जाती झाड़ू

हिंदू धर्म, अपनी प्राचीन परंपराओं और मान्यताओं के लिए जाना जाता है। हिंदू धर्म शास्त्रों में ऐसी अनेक बातें लिखी हुई हैं जो हमारी रोजमर्रा की जिंदगी से जुड़ी हुई हैं। ये मान्यताएं पीढ़ी दर पीढ़ी चलती आ रही हैं। आपने अक्सर अपने बड़ों से सुना होगा कि रात में झाड़ू नहीं लगाना चाहिए या शाम के बाद तुलसी को नहीं छूना चाहिए।

मासिक दुर्गाष्टमी 2025 लिस्ट

सनातन धर्म में मासिक दुर्गाष्टमी का एक विशेष महत्व है, जो हर माह अष्टमी तिथि को मनाई जाती है। 2025 में पहली मासिक दुर्गाष्टमी 7 जनवरी को मनाई जाएगी। इस दिन मां दुर्गा का पूजन और व्रत किया जाता है। जो भी इस दिन मां दुर्गा की पूजा और व्रत करता है।

महाकुंभ में स्नान करने के नियम

उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में महाकुंभ का आयोजन 13 जनवरी से 26 फरवरी तक किया जाएगा। इस पवित्र पर्व में लाखों श्रद्धालु देश-विदेश से शामिल होंगे। इस दौरान वे संगम नदी पर स्नान करेंगे। महाकुंभ में इस स्नान का बहुत महत्व है। माना जाता है कि महाकुंभ में स्नान से सभी पाप समाप्त हो जाते हैं और मोक्ष की प्राप्ति होती है।

महाकुंभ में सबसे पहले शाही स्नान कौन करेगा

महाकुंभ मेला सनातन धर्म में एक अत्यधिक महत्वपूर्ण पर्व है, जो हर 12 साल में एक बार आयोजित होता है। यह मेला चार प्रमुख स्थानों—प्रयागराज, हरिद्वार, उज्जैन और नासिक में आयोजित किया जाता है।

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