हरिद्वार का हर की पौड़ी प्रमुख धार्मिक स्थलों में से एक है। हर साल यहां हजारों की संख्या में श्रद्धालु धार्मिक यात्रा पर जाते हैं। हरिद्वार एक ऐसी जगह है, जहां पर लोग गंगा स्नान करने के लिए आते हैं। वैसे तो हरिद्वार में कई घाट हैं लेकिन हर की पौड़ी पर लोगों की ज्यादा भीड़ देखने को मिलती है। ऐसा इसलिए है क्योंकि इस जगह को लेकर मान्यता है कि जब असुरों और देवताओं के बीच समुद्र मंथन हुआ तब लड़ाई के बीच में असुर अमृत का कलश लेकर भागने लगे। तभी उस कलश में से 4 बूंदें गिर गई।
इनमें से एक बूंद हरीद्वार में गिरी। माना जाता है कि ये बूंद हर की पौड़ी पर ही गिरी थी। इसलिए लोग हरिद्वार आकर इस जगह पर स्नान करते हैं। हिंदुओं में मान्यता है कि हर की पौड़ी में गंगा स्नान करने से सभी पापों का नाश होता है और मरने के बाद मोक्ष की प्राप्ति होती है।
हरिद्वार नाम का दो शब्दों को जोड़ कर बना है। हरी और द्वार, जिसमें हरी का मतलब है भगवान और द्वार का मतलब है दरवाजा। लोगों का मानना है कि ये भगवान से मिलने या फिर स्वर्ग जाने का दरवाजा है।
हरिद्वार का मुख्य घाट हर की पौड़ी है। इस स्थल से गंगा धरती पर आती है। इसके बाद उत्तर प्रदेश, बिहार और बंगाल होकर बंगाल की खाड़ी में जा मिलती है। धार्मिक मान्यता है कि हर की पौड़ी में एक पत्थर में भगवान श्रीहरि विष्णु के पदचिन्ह हैं। इसके लिए इस घाट को हर की पौड़ी कहा जाता है। हर की पौड़ी पर हर रोज शाम के वक्त मां गंगा की संध्या आरती की जाती है।
इस आरती में भारी संख्या में श्रद्धालु हिस्सा लेते हैं और इसका नजारा बहुत की मनमोहक होता है। भारी भीड़ होने के कारण गंगा आरती अच्छे से देखने के लिए आपको 30 से 45 मिनट पहले पहुंचना होगा। बता दे की गंगा आरती दिन में दो बार होती है, एक बार सुबह और दूसरी शाम को। गंगा आरती आमतौर पर सुबह 5:30 से 6:30 के बीच और शाम को 6:00 से 7:00 के बीच में होती है।
हर की पौड़ी हरिद्वार शहर के मध्य में गंगा नदी के तट पर स्थित है। हरिद्वार बस स्टैंड से ऑटो या फिर रिक्शा द्वारा हर की पौड़ी तक पहुंचा जा सकता है। हर की पौड़ी पहुंचने का निकटतम रेलवे स्टेशन हरिद्वार रेलवे स्टेशन है। रेलवे स्टेशन से हर की पौड़ी तक की दूरी लगभग 3 किलोमीटर है।
हिंदू पंचांग में कालाष्टमी एक विशेष तिथि मानी जाती है, जो प्रत्येक कृष्ण पक्ष की अष्टमी को आती है। यह दिन भगवान शिव के उग्र रूप काल भैरव को समर्पित होता है।
हिंदू पंचांग के अनुसार, आज 18 जून को आषाढ़ माह के कृष्ण पक्ष की सप्तमी तिथि के साथ बुधवार का दिन है। इसके साथ ही आज पूर्व भाद्रपद नक्षत्र के साथ प्रीति और आयुष्मान योग का निर्माण हो रहा है।
हिंदू धर्म में कालाष्टमी तिथि को भगवान शिव के रौद्र और रक्षक रूप काल भैरव की उपासना का विशेष दिन माना जाता है। हर माह की कृष्ण पक्ष की अष्टमी को मनाई जाने वाली यह मासिक कालाष्टमी तिथि भक्तों के लिए भय, शत्रु और नकारात्मक ऊर्जा से मुक्ति पाने का एक शुभ अवसर होती है।
हिंदू धर्म में कालाष्टमी तिथि भगवान शिव के रक्षक और उग्र रूप काल भैरव की आराधना के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण मानी जाती है। 2025 में यह शुभ तिथि 18 जून, बुधवार को आ रही है।