संक्रांति मतलब सूर्य का एक राशि से दूसरी राशि में प्रवेश करना और इसका वृश्चिक राशि में प्रवेश वृश्चिक संक्रांति कहलाता है। यह दिन सूर्य देव की विशेष पूजा और दान करने के लिए शुभ है और व्यक्ति के भाग्योदय में होता है। इस दिन भगवान सूर्य की आराधना और जल चढ़ाना बेहद शुभ माना जाता है। धार्मिक मान्यता है कि इस दिन सूर्य देव की पूजा करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती है। साथ ही जीवन में हर क्षेत्र में सफलता प्राप्त होती है। लेकिन पूजन की सही विधि के बारे में जानकारी होना भी जरूरी है। तो भक्त वत्सल पर जानते हैं वृश्चिक संक्रांति की पूजा विधि।
वैदिक पंचांग के अनुसार, सूर्य कार्तिक माह में कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि यानी 16 नवंबर को सुबह 7 बजकर 41 मिनट पर तुला राशि से निकलकर वृश्चिक राशि में प्रवेश करेंगे। इस राशि में सूर्य देव 14 दिसंबर तक रहेंगे। इसके अगले दिन 15 दिसंबर को सूर्य देव राशि परिवर्तन करेंगे। इसलिए वृश्चिक संक्रांति 16 नवंबर को मान्य होगी।
हिंदू धर्म में सभी संक्रांति की तरह वृश्चिक संक्रांति का सूर्य देव की पूजा हेतु बहुत अधिक महत्व है। इस दिन पवित्र नदियों में स्नान कर पूजा पाठ और दान पुण्य करना बहुत लाभकारी माना गया हैं। वृश्चिक संक्रांति अपने पितरों की आत्मा की शांति के लिए भी कई तरह के अनुष्ठान करने का दिन हैं। मान्यता है कि इस दिन सूर्यदेव की पूजा और मंत्र जाप करने से पुण्य फल प्राप्त होता हैं और जीवन सुखमय हो जाता है।
सप्ताह के हर दिन किसी न किसी ग्रह की पूजा होती है। मंगलवार का दिन मंगल ग्रह को समर्पित है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, मंगल ग्रह को शक्ति और ऊर्जा का कारक माना जाता है। इस दिन की पूजा विधि और नियमों का पालन करने से मंगल ग्रह प्रसन्न होते हैं और जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
हिंदू धर्म, अपनी प्राचीन परंपराओं और मान्यताओं के लिए जाना जाता है। हिंदू धर्म शास्त्रों में ऐसी अनेक बातें लिखी हुई हैं जो हमारी रोजमर्रा की जिंदगी से जुड़ी हुई हैं। ये मान्यताएं पीढ़ी दर पीढ़ी चलती आ रही हैं। आपने अक्सर अपने बड़ों से सुना होगा कि रात में झाड़ू नहीं लगाना चाहिए या शाम के बाद तुलसी को नहीं छूना चाहिए।
सनातन धर्म में मासिक दुर्गाष्टमी का एक विशेष महत्व है, जो हर माह अष्टमी तिथि को मनाई जाती है। 2025 में पहली मासिक दुर्गाष्टमी 7 जनवरी को मनाई जाएगी। इस दिन मां दुर्गा का पूजन और व्रत किया जाता है। जो भी इस दिन मां दुर्गा की पूजा और व्रत करता है।
उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में महाकुंभ का आयोजन 13 जनवरी से 26 फरवरी तक किया जाएगा। इस पवित्र पर्व में लाखों श्रद्धालु देश-विदेश से शामिल होंगे। इस दौरान वे संगम नदी पर स्नान करेंगे। महाकुंभ में इस स्नान का बहुत महत्व है। माना जाता है कि महाकुंभ में स्नान से सभी पाप समाप्त हो जाते हैं और मोक्ष की प्राप्ति होती है।