Logo

10 महाविद्याओं में देवी ललिता की तीसरे दिन होती है पूजा, जानें कहा स्थित है मां का मंदिर

10 महाविद्याओं में देवी ललिता की तीसरे दिन होती है पूजा, जानें कहा स्थित है मां का मंदिर

10 महाविद्याओं में देवी ललिता सुख एवं सौभाग्य की देवी हैं। देवी ललिता का पूजन आर्थिक विपन्नता को दूर करता है। देवी ललिता के पूजन में ललिता सहस्त्रनामावली का पाठ करने से सभी कष्ट दूर होते हैं, धन धान्य की प्राप्ति होती है। आज हम आपको यहां माता ललिता देवी के मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं। 88 हजार ऋषियों की तपोभूमि के रुप में विश्व विख्यात नैमिषारण्य स्थित शक्तिपीठ मां ललिता देवी के दर्शन करने के लिए नवरात्र में श्रोद्धालुओं का तांता लगा रहता है। मान्यता है कि यहां पर मां ललिता देवी हर मनोकामना पूर्ण करती हैं। नवरात्र के दिनों में यहां लोगों का तांता लगा रहता है और लोग यहां विभिन्न प्रकार के आयोजन करके मनोकामना भी मांगते हैं।


ललिता देवी मंदिर का इतिहास


पुराणों में नैमिषारण्य में लिंग धारिणी नाम से देवी का वर्णन है, लेकिन अब यह ललिता देवी के नाम से विख्यात है। देवी भागवत में भी श्लोक हैं कि वाराणस्यां विषालाक्षी नैमिषेलिंग धारिणि, प्रयागे ललिता देवी कामुका गंध मादने...। मान्यता के अनुसार, यहां भगवान ब्रह्मा जी का चक्र गिरा था। इसलिए इसे चक्रतीर्थ के नाम से जाना जाता है। नवरात्र के दिनों के अलावा भी यहां पर लोग स्नान करके मां ललिता देवी के दर्शन करने आते है। दूर-दूर से आये लोग यहां पर अपने बच्चों का मुंडन कराने के लिए मां के दरबार में हाजिरी भी लगाते हैं। नैमिषारण्य में 52वां शक्तिपीठ मां ललिता देवी के नाम से जाना जाता है। ऐसी मान्यता हैं कि कनखल में एक विशाल यज्ञ का आयोजन हुआ था जहां पर शिव के अपमान से सती माता ने शरीर त्याग दिया था। जिससे माता सती के शरीर के 52 भाग हो गए थे। सभी भाग अलग-अलग जगहों पर गिरे, वहीं मां का 52वां भाग नैमिषारण्य में गिरा। अंश जिन-जिन स्थानों पर गिरे, वहां पर देवी पीठ बने। नैमिषारण्य में सती जी का हृदय गिरा था। जिससे यह स्थान भी सिद्ध पीठ के नाम से विख्यात हुआ। मान्यता है कि जो भी भक्त अपनी मनोकामना लेकर आता है मां उसे खाली हाथ नहीं भेजती और सभी की मनोकामनाएं पूरी होती है।


कैसे पहुंचे नैमिषारण्य


नैमिषारण्य रेल व सड़क मार्ग से जुड़ा है। सीतापुर और बालमऊ जंक्शन से नैमिषारण्य के लिए सीधे ट्रेन की सुविधा उपलब्ध है। रेल मार्ग पर सीतापुर से नैमिषारण्य 36 किलोमीटर व बालामऊ से 32 किलोमीटर की दूरी पर है। लखनऊ कैसरबाग बस अड्डा से नैमिषारण्य के लिए सीधे परिवहन निगम की बस सुविदा उपलब्ध है। साथ ही सीतापुर, हरदोई बस अड्ड से भी बस सेवा मिलती है। पास में जो हवाई अड्डा है वो लखनऊ जो कि नैमिषारण्य से करीब 100 किलोमीटर की दूरी पर है।

........................................................................................................
आजा कलयुग में लेके, अवतार ओ भोले (Aaja Kalyug Me Leke, Avtar O Bhole)

अवतार ओ भोले,
अपने भक्तो की सुनले,

आजा कलयुग में लेके अवतार ओ गोविन्द (Aaja Kalyug Me Leke Avtar O Govind)

आजा कलयुग में लेके अवतार ओ गोविन्द
आजा कलयुग में लेके अवतार ओ गोविन्द

आजा माँ आजा माँ एक बार, मेरे घर आजा माँ (Aaja Maa Aaja Maa Ek Baar Mere Ghar Aaja Maa )

आजा माँ आजा माँ एक बार,
मेरे घर आजा माँ,

आली री मोहे लागे वृन्दावन नीको ( (Aali Ri Mohe Lage Vrindavan Neeko)

लागे वृन्दावन नीको,
सखी मोहे लागे वृन्दावन नीको।

यह भी जाने

संबंधित लेख

HomeAartiAartiTempleTempleKundliKundliPanchangPanchang