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जनेऊ संस्कार शुभ मुहूर्त मई 2025

जनेऊ संस्कार शुभ मुहूर्त मई 2025

May 2025 Upanayana Muhurat: मई में करना चाहते हैं उपनयन संस्कार? यहां जानें शुभ मुहूर्त और नक्षत्र


हिंदू धर्म में उपनयन संस्कार एक महत्वपूर्ण अनुष्ठान है। उपनयन शब्द का अर्थ है "अंधकार से प्रकाश की ओर बढ़ना"। इस अनुष्ठान से बालक को धार्मिक और आध्यात्मिक जीवन की ओर बढ़ने के लिए प्रेरित किया जाता है। यह संस्कार पुरुषों में जनेऊ धारण करने की पारंपरिक प्रथा को दर्शाता है, जो सदियों से चली आ रही है। मान्यताओं के अनुसार उपनयन संस्कार के बाद ही बालक धार्मिक कार्यों में भाग ले सकता है। उपनयन संस्कार के दौरान बालक को एक पवित्र धागा धारण कराया जाता है जिसे जनेऊ कहा जाता है। जनेऊ को पुरुष अपने बाएं कंधे के ऊपर से दाईं भुजा के नीचे तक पहनते हैं। इसमें तीन सूत्र होते हैं, जो त्रिमूर्ति यानी ब्रह्मा, विष्णु और महेश से जुड़े होते हैं। ऐसे में जनेऊ की शुद्धता का काफी ध्यान रखा जाता है। इस लेख में हम उपनयन संस्कार के महत्व, इसके पीछे के अर्थ और मई में इस अनुष्ठान के लिए शुभ मुहूर्त के बारे में जानकारी प्रदान करेंगे।


मई 2025 जनेऊ संस्कार मुहूर्त

पंचांग के अनुसार, जनेऊ या उपनयन संस्कार के लिए 1,2,7,8, 9,14,17,28,29 और 31 मई की तिथियां खास तौर पर शुभ मानी गई हैं।  इसके अलावा कई शुभ तिथियां और शुभ मुहूर्त नीचे दिए गए हैं- 

1. 1 मई 2025

- समय: दोपहर 01:29 बजे से 08:20 बजे तक

2. 2 मई 2025

- समय: शाम 06:56 बजे से 11:00 बजे तक

3. 7 मई 2025

- समय: रात 08:30 बजे से 03:22 बजे तक

4. 7 मई 2025

- समय: शाम 05:39 बजे से 06:46 बजे तक

5. 8 मई 2025

- समय: दोपहर 01:01 बजे से 05:32 बजे तक

6. 9 मई 2025

- समय: शाम 06:29 बजे से 08:20 बजे तक

7. 14 मई 2025

- समय: शाम 07:03 बजे से 12:36 बजे तक

8. 17 मई 2025

- समय: रात 07:51 बजे से 02:40 बजे तक

9. 17 मई 2025

- समय: शाम 04:59 बजे से 06:00 बजे तक

10. 28 मई 2025

- समय: रात 09:22 बजे से 06:36 बजे तक

11. 29 मई 2025

- समय: शाम 07:00 बजे से 09:16 बजे तक

12. 29 मई 2025

- समय: दोपहर 11:39 बजे से 06:30 बजे तक

13. 31 मई 2025

- समय: शाम 06:59 बजे से 11:30 बजे तक

14. 31 मई 2025

- समय: दोपहर 01:48 बजे से 06:23 बजे तक


उपनयन संस्कार का महत्व

जनेऊ हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण प्रतीक है, जो जीवन के विभिन्न पहलुओं को दर्शाता है। इसके तीन धागे त्रिमूर्ति के साथ-साथ देवऋण, पितृऋण और ऋषिऋण का प्रतिनिधित्व करते हैं। जनेऊ की विशेषता यह है कि यह जीवन के विभिन्न आयामों को जोड़ता है। यह सत्व, रज और तम का प्रतीक है जो जीवन के तीन मुख्य गुणों को दर्शाता है। साथ ही यह गायत्री मंत्र के तीन चरणों का प्रतीक है जो जीवन के तीन मुख्य उद्देश्यों को दर्शाता है। जनेऊ की प्रत्येक जीवा में तीन तार होते हैं, जो कुल नौ तारों का निर्माण करते हैं।


जनेऊ की पांच गाठों का महत्व 

यह जीवन के नौ मुख्य तत्वों को दर्शाता है जो हमारे जीवन को समृद्ध बनाते हैं। जनेऊ में पांच गांठें रखी जाती हैं जो जीवन के पांच मुख्य उद्देश्यों को दर्शाती हैं। ये गांठें ब्रह्म, धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष का प्रतिनिधित्व करती हैं, जो जीवन के पांच मुख्य आयामों को दर्शाती हैं। जनेऊ की लंबाई 96 अंगुल होती है, जो जीवन के 96 मुख्य तत्वों को दर्शाती है। यह हमें जीवन के विभिन्न पहलुओं को समझने और उन्हें संतुलित करने के लिए प्रेरित करती है।


उपनयन संस्कार क्यों किया जाता है?

  • उपनयन संस्कार लड़के को धार्मिक और आध्यात्मिक जीवन की शुरुआत करने के लिए प्रेरित करता है।
  • यह संस्कार लड़के को ज्ञान और शिक्षा की शुरुआत करने के लिए प्रेरित करता है।
  • उपनयन संस्कार लड़के को जिम्मेदारी और कर्तव्य की शुरुआत करने के लिए प्रेरित करता है।
  • यह संस्कार लड़के को पवित्र और शुद्ध जीवन की शुरुआत करने के लिए प्रेरित करता है।
  • उपनयन संस्कार लड़के को समाज में सम्मान और स्थान प्राप्त करने के लिए प्रेरित करता है।
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