Skanda Shashti 2025: 2025 में कब-कब पड़ेगी स्कंद षष्ठी, यहां देखें पूरी लिस्ट
भगवान कार्तिकेय को समर्पित स्कंद षष्ठी का पर्व हर महीने के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को मनाया जाता है। कहते हैं इस तिथि पर भगवान कार्तिकेय का जन्म हुआ था। इसलिए इस दिन को स्कंद षष्ठी के रूप में मनाया जाता है। बता दें कि नववर्ष 2025 की पहली स्कंद षष्ठी का पर्व 05 जनवरी, रविवार को मनाई जाएगी। सनातन धर्म में स्कंद षष्ठी के पर्व का खास महत्व देखने को मिलता है। ऐसी मान्यता है कि इन कामों को करने से पूजा का पूरा फल प्राप्त होता है और रुके हुए काम पूरे होते हैं। चलिए जानते हैं इस वर्ष में पड़ने वाली स्कंद षष्ठी की तिथि के बारे में...
स्कंद षष्ठी 2025 लिस्ट
- पौष माह में 05 जनवरी को स्कंद षष्ठी मनाई जाएगी।
- माघ माह में 03 फरवरी को स्कंद षष्ठी मनाई जाएगी।
- फाल्गुन माह में 04 मार्च को स्कंद षष्ठी मनाई जाएगी।
- चैत्र माह में 03 अप्रैल को स्कंद षष्ठी मनाई जाएगी।
- वैशाख माह में 02 मई को स्कंद षष्ठी मनाई जाएगी।
- ज्येष्ठ माह में 01 जून को स्कंद षष्ठी मनाई जाएगी।
- आषाढ़ माह में 30 जून को स्कंद षष्ठी मनाई जाएगी।
- सावन माह में 30 जुलाई को स्कंद षष्ठी मनाई जाएगी।
- भाद्रपद माह में 28 अगस्त को स्कंद षष्ठी मनाई जाएगी।
- आश्विन माह में 27 सितंबर को स्कंद षष्ठी मनाई जाएगी।
- कार्तिक माह में 27 अक्टूबर को स्कंद षष्ठी मनाई जाएगी।
- मार्गशीर्ष माह में 26 नवंबर को स्कंद षष्ठी मनाई जाएगी।
- पौष माह में 25 दिसंबर को स्कंद षष्ठी मनाई जाएगी।
स्कंद षष्ठी का महत्व
सनातन धर्म में स्कंद षष्ठी पर्व का बहुत अधिक महत्व है। स्कंद षष्ठी मुख्य रूप से भगवान शिव और माता पार्वती के बड़े पुत्र यानी भगवान कार्तिकेय को समर्पित है। भगवान कार्तिकेय को देवताओं का सेनापति भी कहा जाता है। ऐसा माना जाता है कि स्कंद षष्ठी पर भगवान कार्तिकेय की पूजा-अर्चना से जीवन की बड़ी-से-बड़ी बाधा दूर हो सकती है। भगवान कार्तिकेय की कृपा से जीवन में सुख-समृद्धि आती है और संतान प्राप्ति के लिए भी भक्त इस दिन व्रत रखते हैं।
स्कंद षष्ठी पूजा विधि
- सबसे पहले सुबह उठके स्नान करें और साफ वस्त्र धारण करें।
- अपने घर और मंदिर को साफ करें और एक चौकी पर भगवान कार्तिकेय की तस्वीर स्थापित करें।
- पूजा के लिए आवश्यक सामग्री जैसे जल, दूध, दही, घी, शहद, शक्कर, चंदन, अक्षत, फूल, धूप, दीपक, नैवेद्य आदि एकत्रित करें।
- पूजा के दौरान मन को शांत रखें और भगवान कार्तिकेय के प्रति श्रद्धाभाव रखें।
- भगवान कार्तिकेय के सामने घी का दीपक जलाएं।
- भगवान कार्तिकेय को गंगाजल, दूध, दही, घी, शहद और शक्कर से अभिषेक करें।
- भगवान को चंदन, अक्षत, फूल, फल, मिठाई और अन्य नैवेद्य अर्पित करें। भगवान को कमल का फूल चढ़ाना विशेष रूप से शुभ माना जाता है।
- भगवान कार्तिकेय की आरती करें और स्कंद षष्ठी की व्रत कथा का पाठ करें।
- अंत में प्रसाद के साथ लोगों में विशेष चीजों का दान करें।
- ध्यान रहे पूजा के समय किसी भी प्रकार का विवाद या झगड़ा न करें और व्रत के दौरान मांस-मदिरा का सेवन न करें।
पूजा के दौरान करें इन मंत्रों का जप
ॐ तत्पुरुषाय विधमहे: महा सैन्या धीमहि तन्नो स्कंदा प्रचोदयात।।
देव सेनापते स्कंद कार्तिकेय भवोद्भव। कुमार गुह गांगेय शक्तिहस्त नमोस्तु ते॥
ॐ शारवाना-भावाया नम: ज्ञानशक्तिधरा स्कंदा वल्लीईकल्याणा सुंदरा देवसेना मन: कांता कार्तिकेया नामोस्तुते।।
ॐ षडाननाय नमः, ॐ स्कन्ददेवाय नमः, ॐ कुमाराय नमः
........................................................................................................मैं हूँ शरण में तेरी,
संसार के रचैया,
मैया जी घर आए,
गौरी माँ, माँ शारदा,
लग जाएगी लगन धीरे धीरे,
मैया जी से होगा मिलन धीरे धीरे,
मैया के चरणों में,
झुकता है संसार,