मासी मागम तमिल हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण त्योहार है, जिसे 'मासी माकम' के नाम से भी जाना जाता है। यह हर साल तमिल महीने मासी (फरवरी-मार्च) की मागम नक्षत्र के दिन मनाया जाता है।
इस दिन विभिन्न अनुष्ठान और पूजा की जाती है। भक्तगण समुद्र, नदी या पवित्र सरोवर में स्नान करके भगवान शिव, मुरुगन और अन्य देवी-देवताओं की पूजा-अर्चना करते हैं। ऐसी मान्यता है कि इस दिन पवित्र नदियों या समुद्र में स्नान करने से मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है और जीवन में सुख, शांति और समृद्धि आती है।
तमिल पंचांग के अनुसार, मासी मागम त्यौहार हर साल तमिल माह (फरवरी-मार्च) 'मासी' के 'माकम नक्षत्र' में मनाया जाता है। माकम नक्षत्र को 'मागम नक्षत्र' या 'मघा नक्षत्र' भी कहा जाता है।
साल 2025 में यह पर्व बुधवार, 12 मार्च को पड़ रहा है।
मासी मागम साल का सबसे शक्तिशाली 'पूर्ण चंद्र दिवस' होता है। बारह वर्षों में एक बार, जब मासी मागम के दिन बृहस्पति सिंह राशि में प्रवेश करते हैं, तब यह पर्व 'महा मागम' के रूप में मनाया जाता है। यह संयोग अत्यंत शुभ माना जाता है।
इस दिन समुद्र तट पर लाखों की संख्या में लोग एकत्र होते हैं। मंदिरों की मूर्तियों को एक शोभायात्रा के साथ समुद्र के किनारे स्नान के लिए ले जाया जाता है। इसके बाद देवी-देवताओं की पूजा-अर्चना और कई अनुष्ठान किए जाते हैं। शोभायात्रा में शामिल भक्त अपने पापों से मुक्ति के लिए पवित्र जल में स्नान करते हैं। अंत में, देवी-देवताओं की मूर्तियों को वापस झांकियों में मंदिर ले जाया जाता है।
इस दिन मंदिरों में गज पूजा (हाथी की पूजा) और अश्व पूजा (घोड़े की पूजा) करने की भी परंपरा है।
सपने में सखी देख्यो नन्दगोपाल,
सावली सूरतिया हाथो मे बाँसुरिया,
सर को झुकालो,
शेरावाली को मानलो,
हिंदू धर्म में मासिक शिवरात्रि का विशेष महत्व है। यह पर्व भगवान शिव को समर्पित है और हर माह कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाया जाता है। श्रद्धालु इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करते हैं और व्रत रखते हैं।
प्रत्येक माह में पड़ने वाले प्रदोष व्रत अपने विशेष महत्व के लिए ही जाने जाते हैं। पर साल 2024 में पौष माह के प्रदोष व्रत को ख़ास माना जा रहा है।