अगर आप जून 2025 में शादी करने की योजना बना रहे हैं, तो यह माह आपके लिए कुछ शुभ अवसर लेकर आ रहा है। इस महीने विवाह के लिए 5 शुभ मुहूर्त उपलब्ध हैं। गर्मियों के इस अंतिम चरण में, जब प्रकृति वर्षा ऋतु की ओर बढ़ रही होती है, उस समय विवाह जैसे मांगलिक कार्य के लिए यह समय शुभ फल देने वाला माना गया है। धार्मिक और ज्योतिषीय दृष्टि से भी यह समय सकारात्मक ऊर्जा से भरपूर होता है।
तो आइए जानते हैं जून 2025 में विवाह के लिए कौन-कौन से शुभ मुहूर्त उपलब्ध हैं, साथ ही यह भी जानेंगे इस महीने में विवाह करने का धार्मिक और ज्योतिषीय महत्व क्या है।
2 जून 2025, सोमवार
4 जून 2025, बुधवार
5 जून 2025, बृहस्पतिवार
7 जून 2025, शनिवार
8 जून 2025, रविवार
जून का महीना धार्मिक रूप से भी महत्वपूर्ण माना गया है। इस समय ज्येष्ठ मास या आषाढ मास की शुरुआत होती है, जिसमें कई धार्मिक व्रत और पर्व आते हैं। इस काल में विवाह जैसे शुभ कार्य करने से वैवाहिक जीवन में धैर्य, संतुलन और सौहार्द बना रहता है। इसके अतिरिक्त, इस माह में भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा विशेष फलदायक मानी जाती है, जिससे नवविवाहितों को सुख, समृद्धि और संतान का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
ज्योतिष के अनुसार, विवाह के लिए शुभ मुहूर्त तभी माने जाते हैं जब चंद्रमा शुभ नक्षत्रों (जैसे मघा, हस्त, स्वाती आदि) में स्थित होता है और गुरु तथा शुक्र ग्रह की दशा अनुकूल होती है।
जून 2025 में आने वाले मुहूर्तों में ग्रहों की स्थिति अनुकूल है, जिससे इस दौरान विवाह करने वाले दंपत्ति को वैवाहिक जीवन में स्थिरता, प्रेम और पारिवारिक सुख की प्राप्ति होती है।
मां दुर्गा को प्रसन्न करने का एक शक्तिशाली माध्यम है चण्डी पाठ और चण्डी हवन। यह न केवल आपके शत्रु को परास्त करता है बल्कि जीवन की सभी बाधाएं, रोग-दुःख और ग्रहदोष से भी मुक्ति दिलाता है।
हिंदू शास्त्रों में मां लक्ष्मी को वैभव, धन, सुख और ऐश्वर्य की देवी माना गया है। ऐसी मान्यता है कि जिन पर मां लक्ष्मी की कृपा होती है, उनके जीवन में कभी दरिद्रता या संकट नहीं आता।
महामृत्युंजय मंत्र को अत्यंत प्रभावशाली और सिद्धिदायक माना गया है। यह मंत्र भगवान शिव को समर्पित है और इसका जाप जीवन के भय, रोग, शोक और अकाल मृत्यु से रक्षा करता है। परंतु बिना विधि और नियम के मंत्र जाप करना लाभ के बजाय हानि का कारण बन सकता है।
सनातन धर्म में श्रीरामचरितमानस का पाठ अत्यंत पुण्यदायी माना गया है। इसमें भी जब रामायण का पाठ बिना रुके, लगातार 24 घंटे किया जाए, तो उसे अखंड रामायण पाठ कहा जाता है।