साल 2025 में कुल 2 चंद्र ग्रहण लगेंगे। लेकिन यह दोनों ग्रहण भारत में दिखाई नहीं देंगे इसलिए इसका कोई धार्मिक प्रभाव नहीं माना जाएगा। साथ ही इसका सूतक काल भी मान्य नहीं होगा।
सनातन धर्म में सूर्य और चंद्र ग्रहण का विशेष महत्व है, जो हमारे जीवन में महत्वपूर्ण परिवर्तन लाने की शक्ति रखते हैं। चंद्र ग्रहण, जो पूर्णिमा तिथि पर लगता है। यह एक ऐसी घटना है जिसमें मायावी ग्रह राहु का प्रभाव पृथ्वी लोक पर बढ़ जाता है। चंद्र ग्रहण के दौरान ज्योतिष शास्त्र में शुभ कार्य करने की मनाही है और खानपान भी वर्जित है। इसकी अनदेखी करने से शारीरिक एवं मानसिक सेहत पर बुरा असर पड़ सकता है। इसलिए ग्रहण के समय शास्त्र नियमों का पालन अवश्य करना चाहिए। आइए साल 2025 में लगने वाले चंद्र ग्रहण के बारे में विस्तार से जानते हैं। साथ ही जानेंगे इस ग्रहण का धार्मिक महत्व के बारे में।
साल 2025 में कुल 2 चंद्र ग्रहण लगेंगे। लेकिन यह दोनों ग्रहण भारत में दिखाई नहीं देंगे इसलिए इसका कोई धार्मिक प्रभाव नहीं माना जाएगा। साथ ही इसका सूतक काल भी मान्य नहीं होगा।
साल 2025 का पहला चंद्र ग्रहण फाल्गुन महीने की पूर्णिमा तिथि पर लगेगा। यह दिन होली का भी है जो हर साल फाल्गुन पूर्णिमा पर मनाया जाता है। इस शुभ अवसर पर लोग एक दूसरे को रंग-गुलाल लगाकर होली की शुभकामना देते हैं और एक दूसरे के घर पर जाकर मिठाई खाते हैं। हालांकि इस शुभ तिथि पर लगने वाला चंद्र ग्रहण भारत में दिखाई नहीं देगा। इसके कारण ग्रहण का प्रभाव नहीं पड़ेगा और सूतक भी मान्य नहीं होगा।
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, ग्रहण दिखने पर ही सूतक मान्य होता है। चंद्र ग्रहण 14 मार्च को भारतीय समयानुसार प्रातः काल 09 बजकर 29 मिनट से लेकर दोपहर 03 बजकर 29 मिनट तक रहेगा। इस दौरान शास्त्र नियमों का पालन करना आवश्यक है।
पंचांग के अनुसार, साल 2025 का दूसरा चंद्र ग्रहण भाद्रपद पूर्णिमा पर लगेगा। यह पूर्णिमा 07 सितंबर को होगी लेकिन भारत में यह चंद्र ग्रहण दिखाई नहीं देगा। इसके कारण ग्रहण का प्रभाव नहीं पड़ेगा और सूतक भी मान्य नहीं होगा। चंद्र ग्रहण 07 सितंबर को रात 08 बजकर 59 मिनट से लेकर देर रात 02 बजकर 24 मिनट तक रहेगा।
इस दौरान शास्त्र नियमों का पालन करना आवश्यक है। साथ ही चंद्र ग्रहण के बाद दान करना भी महत्वपूर्ण है जो हमारे जीवन में सकारात्मक ऊर्जा को आकर्षित करने में मदद करता है। भाद्रपद पूर्णिमा 07 सितंबर को देर रात 01 बजकर 41 मिनट पर शुरू होगी और 07 सितंबर को देर रात 11 बजकर 38 मिनट पर समाप्त होगी।
चंद्र ग्रहण का धार्मिक महत्व हिंदू धर्म में बहुत अधिक है। यह एक महत्वपूर्ण घटना मानी जाती है जो हमारे जीवन में महत्वपूर्ण परिवर्तन लाने की शक्ति रखती है। चंद्र ग्रहण के दौरान लोग विशेष पूजा-पाठ और अनुष्ठान करते हैं ताकि वे इस घटना की शक्ति को अपने जीवन में आकर्षित कर सकें। यह एक समय होता है जब लोग अपने जीवन में सकारात्मक परिवर्तन लाने के लिए प्रार्थना करते हैं और अपने जीवन को बेहतर बनाने के लिए प्रयास करते हैं।
माघ मास की कृष्ण जन्माष्टमी, जो कि हिंदू कैलेंडर के अनुसार माघ माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाई जाती है। यह इस साल 2025 में 21 जनवरी को पड़ रही है।
सनातन हिंदू धर्म के अनुयायियों के लिए मासिक कृष्ण जन्माष्टमी बहुत ही खास और पवित्र पर्व माना जाता है। यह दिन जगत के पालनकर्ता भगवान विष्णु के आठवें अवतार भगवान श्रीकृष्ण को समर्पित है।
सनातन हिंदू धर्म में, मासिक कृष्ण जन्माष्टमी के दिन भगवान श्रीकृष्ण की विधिवत रूप से पूजा-अर्चना करने का विधान है। धार्मिक मान्यता है कि इससे साधक को सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है।
सनातन हिंदू धर्म में कालाष्टमी का दिन अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है। यह विशेष दिन काल भैरव बाबा को समर्पित है। यदि कोई साधक इस तिथि पर सच्चे मन से भगवान शिव के रौद्र रूप भैरव बाबा की पूजा करता है।