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बसंत पंचमी पर 144 वर्ष बाद बन रहा है विशेष योग

बसंत पंचमी पर 144 वर्ष बाद बन रहा है विशेष योग

Basant Panchami 2025: बसंत के दिन विशेष योग में जरूर करें ये काम, मनोवांछित फलों की हो सकती है प्राप्ति 


बसंत पंचमी का दिन विद्या की देवी माता सरस्वती की पूजा-अर्चना के लिए समर्पित है। हर वर्ष माघ माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को बसंत पंचमी मनाई जाती है और विधि-विधान से माता सरस्वती की पूजा की जाती है। माता सरस्वती को विद्या, बुद्धि, ज्ञान और विवेक की देवी माना जाता है। इस वर्ष प्रयागराज में महाकुंभ भी चल रहा है और बसंत पंचमी के दिन अमृत स्नान भी किया जाएगा। ऐसे में बसंत पंचमी का दिन और अधिक फलदायी बन गया है। इस वर्ष अद्भुत योग में महाकुंभ का आयोजन किया गया है और यह योग 144 वर्ष साल में एक बार ही बनते हैं। इसी के साथ बसंत पंचमी पर भी 144 वर्ष बाद विशेष शुभ योग बन रहे हैं। अब ऐसे में इस दिन कौन सा योग बन रहा है और इस दिन किन चीजों का करना शुभ माना जाता है। इसके बारे में भक्त वत्सल के इस लेख में विस्तार से जानते हैं। 

बसंत पंचमी के शुभ योग 


पंचांग के अनुसार, माघ माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि पर शनि देव पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र में गोचर करेंगे। यह गोचर कई शुभ संयोगों का निर्माण कर रहा है। 

  • शिव योग - यह योग भगवान शिव को समर्पित है और इसे अत्यंत शुभ माना जाता है। इस योग में किए गए कार्य सफल होते हैं और मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
  • सिद्ध साध्य योग -  यह योग भी शुभ कार्यों के लिए उत्तम माना जाता है। इस योग में किए गए कार्यों में सिद्धि प्राप्त होती है।
  • रवि योग -  यह योग सूर्य देव को समर्पित है और इसे भी शुभ माना जाता है। इस योग में किए गए कार्यों में यश और सफलता प्राप्त होती है।

बसंत पंचमी के दिन करें अमृत स्नान


इस वर्ष प्रयागराज में महाकुंभ का आयोजन हो रहा है, जो 12 वर्ष के बाद आता है. इस बार का महाकुंभ विशेष है, क्योंकि इस अवसर पर बन रहे योग 144 वर्ष के बाद बने हैं. महाकुंभ में अमृत स्नान का बहुत महत्व होता है और बसंत पंचमी के दिन भी अमृत स्नान होगा। बसंत पंचमी को संगम नगरी में गंगा, यमुना और सरस्वती के संगम पर स्नान करने से अमृत स्नान के लाभ के साथ-साथ विद्या की देवी मां सरस्वती की कृपा भी प्राप्त होगी और विद्या, बुद्धि और विवेक बढ़ेगा।

बसंत पंचमी के दिन करें माता सरस्वती को चढ़ाएं गुलाल


बसंत पंचमी रंगों का त्योहार है, और गुलाल रंगों का प्रतीक है। मां सरस्वती को गुलाल चढ़ाने का अर्थ है कि हम उनके सौंदर्य और कृपा को आमंत्रित करते हैं। गुलाल ज्ञान और सृजनशीलता का भी प्रतीक है। मां सरस्वती को गुलाल चढ़ाने से हमारी बुद्धि में वृद्धि होती है और रचनात्मकता बढ़ती है। गुलाल में सकारात्मक ऊर्जा होती है। मां सरस्वती को गुलाल चढ़ाने से आसपास का वातावरण शुद्ध होता है और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। गुलाल शुभता और समृद्धि का भी प्रतीक है। मां सरस्वती को गुलाल चढ़ाने से हमारे जीवन में शुभता और समृद्धि आती है। मां सरस्वती को पीला, गुलाबी या सफेद रंग का गुलाल चढ़ाना चाहिए। ये रंग ज्ञान और पवित्रता के प्रतीक हैं।

बसंत पंचमी के दिन पुस्तक और वाद्य यंत्र की करें पूजा 


बसंत पंचमी के दिन पुस्तक और वाद्य यंत्रों की पूजा का विशेष महत्व है। ऐसा माना जाता है कि देवी सरस्वती ज्ञान, संगीत और कला की देवी हैं, और उनकी पूजा करने से व्यक्ति को ज्ञान, बुद्धि और रचनात्मकता का आशीर्वाद प्राप्त होता है। पुस्तकें ज्ञान का प्रतीक हैं, और वाद्य यंत्र संगीत और कला का प्रतीक हैं। बसंत पंचमी के दिन इन दोनों की पूजा करने से व्यक्ति को ज्ञान, बुद्धि, रचनात्मकता और कला के क्षेत्र में सफलता प्राप्त होती है। यह त्योहार छात्रों, शिक्षकों, संगीतकारों, कलाकारों और लेखकों के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण है।

बसंत पंचमी के दिन करें दान


बसंत पंचमी के दिन दान करने का विशेष महत्व होता है। इस दिन कुछ विशेष चीजों का दान करने से मां सरस्वती की कृपा प्राप्त होती है और जीवन में सुख-समृद्धि आती है। पीले वस्त्र मां सरस्वती को बहुत प्रिय होते हैं। इसलिए, इस दिन पीले वस्त्रों का दान करना बहुत शुभ माना जाता है। बसंत पंचमी ज्ञान और विद्या की देवी सरस्वती को समर्पित है। इसलिए, इस दिन शिक्षा सामग्री जैसे किताबें, पेन, पेंसिल और कॉपी दान करना बहुत शुभ माना जाता है।

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