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पहाड़ी मंदिर, रांची, झारखंड (Pahari Mandir, Ranchi, Jharkhand)

पहाड़ी मंदिर, रांची, झारखंड (Pahari Mandir, Ranchi, Jharkhand)

अंग्रेजों जहां फांसी फांसी पर लोगों को लटकाते थे उसी स्थान पर बना भगवान शिव का पहाड़ी मंदिर



झारखंड में मौजूद भगवान शिव के प्रसिद्ध मंदिरों में से एक है पहाड़ी मंदिर। मंदिर का इतिहास काफी पुराना है। सावन में हजारों भक्त रोजाना बाबा के दर्शन करने के लिए पहुंचते हैं। समुद्र तल से लगभग 2140 फीट की ऊंचाई पर स्थित यह मंदिर रांची हिल नाम की पहाड़ी पर स्थित है। ब्रिटिश राज में अंग्रेज इस पहाड़ी का प्रयोग फांसी की सजा देने के लिए करते थे। 



अंग्रेजों ने नाम दिया था हैंगिंग गैरी 



यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित एक पावन धाम है, जहां नाग देवता की भी विशेष पूजा की जाती है। बताया जाता है कि पहाड़ी पर स्थित नाग देवता का स्थल 55 हजार साल पुराना है। इस पहाड़ी का इतिहास लाखों साल पुराना है। यहां पर अंग्रेजों के समय में फांसी दी जाती थी। यही कारण है कि पहाड़ी मंदिर में आजादी के बाद हर साल 15 अगस्त और 26 जनवरी को झंडा फहराया जाता है। पहाड़ी पर स्थित बाबा भोलेनाथ का ये मंदिर काफी खूबसूरत है। मंदिर प्रांगण से पहाड़ी के चारों ओर बिखरी हरियाली देखी जा सकती है। पहाड़ी मंदिर से पूरा रांची शहर बहुत सुंदर दिखाई देता है। पहाड़ी मंदिर का पुराना नाम तिरीबुरु था, जिसे अंग्रेजों ने बदलकर हैंगिंग गैरी कर दिया था। 



400 से ज्यादा सीढ़ियों की चढ़ाई पर मंदिर 



झारखंड आने वाले सैलानी पहाड़ी मंदिर अवश्य जाते हैं। सावन के महीने में इस मंदिर का महत्व और बढ़ जाता है। इस दौरान मंदिर में बाबा भोलेनाथ की विशेष पूजा का आयोजन किया जाता है। हजारों की संख्या में भक्त रोजाना लाइन में लगकर बाबा का आशीर्वाद प्राप्त कर मंदिर में पहुंचते हैं। पहाड़ी मंदिर धार्मिक पर्यटन के रूप में प्रसिद्ध है। जमीन से करीब 350 फीट ऊंचे पहाड़ी मंदिर में 486 सीढ़ियां है, जहां से आप मंदिर पहुंच सकते हैं। कहा जाता है कि सावन के महीने में पहाड़ी मंदिर में स्थापित शिवलिंग का दर्शन करना शुभ माना जाता है। पूरे सावन हर रोज ताजा और सुंदर फूलों से बाबा का भव्य श्रृंगार होता है। भगवान के इस मनमोहक रुप को देखने के लिए भक्त सुबह तीन बजे से ही लाइन में लगना शुरू हो जाते है।



नाग देवता की होती है पूजा



झारखंड के इस भूभाग में करीब 2000 सालों तक नागवंशियों का शासन रहा, जिसके कारण झारखंड को लोग नागभूमि भी कहते हैं। रांची पहाड़ी से कुछ अनोखी परंपराएं जुड़ी हुई है। यहां आदिवासी सदियों से नाग देवता की पूजा करते हैं। मंदिर के शिखर में स्थित नाग बाबा की गुफा में 11 जोड़ी पद्चिन्ह उल्टे चट्टान में भी सुरक्षित है और सदियों से नाग बाबा का सजीव दर्शन होता है। नाग को भगवान शिव का ही अलंकार माना जाता है, जिसके कारण करीब 100 साल पहले से यहां बाबा भोलेनाथ पर जलाभिषेक की परंपरा है। यहां आने वाले श्रद्धालु नाग गुफा में दर्शन करने के बाद ही पहाड़ी बाबा का दर्शन करते हैं। 



पहाड़ी मंदिर कैसे पहुंचे



हवाई मार्ग - रांची में बिरसा मुंडा एयरपोर्ट है, जो शहर के केंद्र से लगभग 7 से 8 किमी दूर स्थित है। एयरपोर्ट से आप टैक्सी या ऑटो-रिक्शा के द्वारा सीधे पहाड़ी मंदिर तक पहुंच सकते है। 


रेल मार्ग - रांची रेलवे स्टेशन एक प्रमुख रेलवे स्टेशन है जो विभिन्न शहरों से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। यहां से आप टैक्सी या ऑटो-रिक्शा के द्वारा सीधे पहाड़ी मंदिर तक पहुंच सकते है। 


सड़क मार्ग- रांची शहर के मुख्य मार्गों पर अच्छी सड़के उपलब्ध हैं। पहाड़ी मंदिर रांची शहर के केंद्र के नजदीक स्थित है।


मंदिर का समय - सुबह 4 बजे से दोपहर 1 बजे तक, दोपहर को 2 बजे से शाम 6 बजे तक।
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चैत्र नवरात्रि पूजा नियम

चैत्र नवरात्रि हिंदू धर्म के पावन त्योहारों में से एक है। यह त्योहार साल में दो बार मनाया जाता है - चैत्र नवरात्रि और शारदीय नवरात्रि। इस दौरान नौ दिनों तक मां दुर्गा को प्रसन्न करने के लिए उनके नौ स्वरूपों की विधि-विधान से पूजा की जाती है। पूजा के दौरान कुछ नियमों का भी पालन करना होता है।

चैत्र मास में क्या करें क्या न करें

ग्रेगोरियन कैलेंडर की तरह एक हिंदू कैलेंडर भी होता है। इस कैलेंडर में भी 12 महीने होते हैं, जिसकी शुरुआत चैत्र के साथ होती है। यह महीना धार्मिक और अध्यात्मिक दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है। इस माह में चैत्र नवरात्रि, राम नवमी और हनुमान जयंती जैसे प्रमुख त्योहार आते हैं।

चैत्र मास में करें ये उपाय

चैत्र माह की शुरुआत 15 मार्च से हो रही है। यह हिंदू पंचांग का पहला महीना है, जिसका धार्मिक और आध्यात्मिक रूप से बहुत महत्व है। इस मास में की गई पूजा, व्रत और दान-पुण्य का प्रभाव संपूर्ण वर्ष पर पड़ता है। इसके अलावा मान्यता है कि इस माह में कुछ विशेष उपाय करने से जीवन में सुख-समृद्धि, शांति और सफलता प्राप्त होती है।

चैत्र महीना भालचंद्र संकष्टी चतुर्थी

भालचंद्र संकष्टी चतुर्थी भगवान गणेश को समर्पित एक महत्वपूर्ण व्रत है, जिसे चैत्र माह में मनाया जाता है। इस दिन गणपति बप्पा की पूजा करने से भक्तों को सभी संकटों से मुक्ति मिलती है और जीवन में सुख-समृद्धि का आगमन होता है। इस वर्ष भालचंद्र संकष्टी चतुर्थी 17 मार्च 2025, सोमवार को मनाई जाएगी।

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