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मासिक कार्तिगाई पर दीप प्रज्वलित का महत्व

मासिक कार्तिगाई पर दीप प्रज्वलित का महत्व

Masik Karthigai 2025: कार्तिगाई दीपम पर दीप जलाने का क्या महत्व है, जानें इससे जुड़ी पौराणिक कथा

कार्तिगाई दीपम जिसे तमिल संस्कृति में विशेष रूप से मासिक कार्तिगाई के नाम से भी जाना जाता है, एक अत्यंत महत्वपूर्ण और पवित्र त्योहार है जो मुख्य रूप से तमिलनाडु में मनाया जाता है। यह पर्व दीपों का त्योहार है, जो अंधकार पर प्रकाश की विजय और भगवान शिव तथा उनके पुत्र भगवान कार्तिकेय की पूजा का प्रतीक है। हिंदू पंचांग के अनुसार, कार्तिगाई नक्षत्र के दिन जब पूर्णिमा होती है, उस दिन कार्तिगाई दीपम का आयोजन होता है, जो इस साल 22 जून, रविवार को है।  

अरुणाचल ज्योतिर्लिंग से जुड़ी है कार्तिगाई दीपम की पौराणिक कथा

पुराणों में वर्णित एक प्रसिद्ध कथा के अनुसार, ब्रह्मा और विष्णु के बीच श्रेष्ठता को लेकर विवाद हुआ। दोनों अपने-आप को सर्वश्रेष्ठ मानते थे। इस विवाद को समाप्त करने के लिए भगवान शिव ने एक विशाल अग्नि स्तंभ (ज्योतिर्लिंग) के रूप में प्रकट होकर दोनों देवताओं को चुनौती दी कि वे उस अग्नि के आदि और अंत का पता लगाएं।

ब्रह्मा ने हंस का रूप धारण कर ऊपर की ओर उड़ान भरी, वहीं विष्णु वराह (सूअर) का रूप लेकर नीचे की ओर गए। परंतु वे दोनों ही शिव के अग्निरूप की सीमाओं को जानने में असफल रहे। अंततः भगवान शिव ने अपनी दिव्यता और सर्वोच्चता सिद्ध की। इस अग्नि स्तंभ को ही बाद में अरुणाचल ज्योति के रूप में पूजा जाने लगा, और इसी घटना की स्मृति में कार्तिगाई दीपम पर्व मनाया जाता है।

अंधकार पर प्रकाश के विजय का प्रतीक है कार्तिगाई दीपम

दीपक जलाना जीवन से अंधकार और अज्ञान को हटाकर ज्ञान और शांति का मार्ग प्रशस्त करने का प्रतीक है। यह पर्व आध्यात्मिक रूप से भी यह सिखाता है कि जब मन में प्रकाश होता है, तभी जीवन में भी उजाला होता है।

भगवान शिव और कार्तिकेय की पूजा 

इस दिन भगवान शिव के अग्निरूप और भगवान कार्तिकेय की विशेष पूजा की जाती है। भगवान कार्तिकेय को शक्ति और ज्ञान का प्रतीक माना जाता है। वे राक्षसों के नाशक और भक्तों के रक्षक हैं। पूजा में विशेष मंत्रों का जाप, फल, पुष्प और दीप अर्पण किया जाता है।

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दिवाली व्रत कथा (Diwali Vrat Katha)

एक समय की बात है एक जंगल में एक साहूकार रहता था। उसकी बेटी प्रतिदिन पीपल के पेड़ पर जल चढ़ाती थी। जिस पीपल के पेड़ पर वो जल चढ़ाती थी उस पर पर मां लक्ष्मी का वास था।

दीपावली पूजन के लिए संकल्प मंत्रः (Dipawali Pujan ke liye Sankalp Mantra)

ऊं विष्णुर्विष्णुर्विष्णु:, ऊं तत्सदद्य श्री पुराणपुरुषोत्तमस्य विष्णोराज्ञया प्रवर्तमानस्य ब्रह्मणोऽह्नि द्वितीय पराद्र्धे श्री श्वेतवाराहकल्पे सप्तमे वैवस्वतमन्वन्तरे, अष्टाविंशतितमे कलियुगे, कलिप्रथम चरणे जम्बुद्वीपे भरतखण्डे आर्यावर्तान्तर्गत ब्रह्मवर्तैकदेशे पुण्य

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