धन-धान्य और उन्नति के प्रमुख त्योहार दीपोत्सव की शुरुआत हो चुकी है। इस त्योहार को पहले दिन को धनतेरस के रूप में मनाया जाता है। यह हमें जीवन में सुख, समृद्धि और उत्तम स्वास्थ्य के महत्व का संदेश भी देता है। पुरानी परंपराओं और आधुनिक जीवनशैली के बीच संतुलन बिठाने वाला यह त्योहार हर साल कार्तिक मास की त्रयोदशी तिथि को मनाया जाता है। इस पर्व में कई तरह के संदेश भी निहित हैं। जिनमें आर्थिक विकास के साथ आध्यात्मिक जागृति और मानसिक उन्नति भी शामिल है। तो आइए इस आलेख में इस पर्व के महत्व को विस्तार से समझते हैं।
धनतेरस के पीछे यह मान्यता है कि स्वस्थ शरीर ही मनुष्य का सबसे बड़ा धन है। यदि व्यक्ति के पास उत्तम सेहत ना हो तो संपत्ति या भौतिक सुख-सुविधाओं का आनंद नहीं लिया जा सकता। यही कारण है कि इस पर्व को आर्थिक संपन्नता के प्रतीक के साथ चिकित्सा विज्ञान के देवता भगवान धन्वंतरि के भी पूजन-दिवस के रूप में मनाया जाता है। प्राचीन मान्यताओं में धन और वैभव की प्राप्ति के साथ स्वास्थ्य को भी सर्वोच्च प्राथमिकता दी जाती है।
धनतेरस पर्व का महत्व कई पौराणिक कथाओं से जुड़ा है जो इस प्रकार है।
धनतेरस के दिन विशेष वस्तुओं की खरीद को बेहद ही शुभ माना जाता है, जिनमें ये वस्तुएं प्रमुख रूप से शामिल किए जाते हैं।
इस वर्ष धनतेरस 29 अक्टूबर, 2024 (मंगलवार) को मनाया जाएगा। यह पर्व हर साल अश्विन मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी को मनाया जाता है।
बता दें कि धनतेरस पर घरों की साफ-सफाई और सजावट का विशेष महत्व है। माना जाता है कि स्वच्छ वातावरण सकारात्मक ऊर्जा को आकर्षित करता है। पूजा स्थल को रंगोली, फूलों और दीपों से सजाया जाता है।
आज के समय में धनतेरस केवल धार्मिक परंपरा तक ही सीमित नहीं है। यह पर्व स्वास्थ्य, धन एवं समृद्धि के साथ जागरूकता और सकारात्मकता को भी बढ़ावा देता है। धनतेरस के पीछे छिपा एक संदेश यह भी है कि सेहत ही सबसे बड़ा धन है। वहीं, धनतेरस के मौके पर लोग सोने, चांदी और अन्य संपत्तियों में निवेश भी करते हैं। साथ ही लोग नए आभूषण, बर्तन और वाहन भी खरीदते हैं।
धनतेरस पर्व के अवसर पर उत्तर प्रदेश और पंजाब जैसे राज्यों में सोना-चांदी खरीदना सौभाग्य का प्रतीक है। इस दिन घरों और मंदिरों में विशेष पूजा की जाती है। वहीं, महाराष्ट्र और गुजरात में बर्तन खरीदने की परंपरा अधिक प्रचलित है। जबकि, दक्षिण भारत में लोग इस दिन भगवान धन्वंतरि की पूजा कर अच्छे स्वास्थ्य की कामना करते हैं।
छठ महापर्व साल में दो बार मनाया जाता है। एक चैत्र मास में और दूसरा शारदीय मास में। हिंदू धर्म में छठ महापर्व का विशेष महत्व है। छठ पूजा को त्योहार के तौर पर नहीं, बल्कि महापर्व के तौर पर मनाया जाता है।
आज 07 अप्रैल 2025 चैत्र माह का बाईसवां दिन है और आज इस पंचांग के अनुसार चैत्र माह के शुक्ल पक्ष तिथि दशमी है। आज सोमवार का दिन है। इस तिथि पर धृति योग रहेगा।
आज 08 अप्रैल 2025 चैत्र माह का तेईसवां दिन है और आज इस पंचांग के अनुसार चैत्र माह के शुक्ल पक्ष तिथि एकादशी है। आज मंगलवार का दिन है। इस तिथि पर शूल योग रहेगा।
चैती छठ पूजा 1 अप्रैल 2025 से शुरू होगी। छठ पूजा सूर्य देव और छठी मैया की उपासना का एक महत्वपूर्ण पर्व है, जिसमें भक्त कड़े नियमों का पालन करते हुए व्रत रखते हैं और उगते और डूबते सूर्य को अर्घ्य देते हैं।