उड़ उड़ जा रे पंछी,
मैया से कहियो रे,
कहियो तेरा लाल,
कहियो तेरा लाल,
कहियो तेरा लाल,
तेरी याद करे,
उड़ उड़ जा रे पँछी,
मैया से कहियो रे,
उड़ उड़ जा रे पँछी ॥
ऊँचे पर्वतो पे देखो,
मैया जी विराजी है,
वैष्णो देवी कहके,
दुनिया बुलाती है,
शेरावाली कह के सारी,
दुनिया बुलाती है,
मेरे मन की बातें सारी,
मेरे मन की बातें,
मेरे मन की बातें सारी,
मैया से कहियो रे,
उड़ उड़ जा रे पँछी,
मैया से कहियो रे,
उड़ उड़ जा रे पँछी ॥
माँ का भवन जब तेरे,
नज़दीक आएगा,
माँ से मिलन का आनंद,
बढ़ता ही जायेगा,
मैया जी के पास मेरी,
मैया जी के पास,
मैया जी के पास मेरी,
अर्ज़ी लगइयो रे,
उड़ उड़ जा रे पँछी,
मैया से कहियो रे,
उड़ उड़ जा रे पँछी ॥
दर्शन माँ का जब,
नैन तेरे पाएंगे,
एक साथ कई जन्मों के,
पाप धूल जायेंगे,
मैया के चरण में ‘गोपी’,
मैया के चरण में,
मैया के चरण में ‘गोपी’,
लोट लोट जइयो रे,
उड़ उड़ जा रे पँछी,
मैया से कहियो रे,
उड़ उड़ जा रे पँछी ॥
उड़ उड़ जा रे पंछी,
मैया से कहियो रे,
कहियो तेरा लाल,
कहियो तेरा लाल,
कहियो तेरा लाल,
तेरी याद करे,
उड़ उड़ जा रे पँछी,
मैया से कहियो रे,
उड़ उड़ जा रे पँछी ॥
भगवान हनुमान की पूजा में सिंदूर चढ़ाने का विशेष महत्व है। मंगलवार और शनिवार को हनुमान जी की आराधना में सिंदूर का प्रयोग अनिवार्य माना गया है। हनुमान जी की अधिकांश प्रतिमाओं में उन्हें केसरिया रंग के सिंदूर लगाया हुआ देखा जाता है।
शिवपुराण में कहा गया है कि भगवान शिव स्वयं जल के रूप में विद्यमान हैं। जल को जीवन का आधार माना गया है और शिवलिंग पर जल चढ़ाने से इसका महत्व समझा जा सकता है।
जब भी कुंभ मेले का उल्लेख होता है कल्पवास का नाम अनिवार्य रूप से लिया जाता है। कल्पवास एक आध्यात्मिक साधना और वैदिक परंपरा है जो प्राचीन भारतीय संस्कृति की गहरी जड़ों से जुड़ी हुई है।
शाही स्नान सनातन धर्म में एक अत्यंत पवित्र और विशेष स्नान माना जाता है। यह कुंभ और महाकुंभ मेले का मुख्य आकर्षण होता है। इस स्नान को धार्मिक, आध्यात्मिक और ज्योतिषीय दृष्टि से अत्यधिक महत्व दिया गया है।