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तुझसा दयालु नहीं प्यारे - भजन (Tujh Sa Dayalu Nahi Pyare)

तुझसा दयालु नहीं प्यारे - भजन (Tujh Sa Dayalu Nahi Pyare)

तुझसा दयालु नहीं प्यारे,

प्यारे प्यारे प्यारे ॥


श्रुति कहे जगत पिता है तू ही प्यारे,

बन्यो यशोमति सूत प्यारे,

प्यारे प्यारे प्यारे,

तुझसा दयालु नही प्यारे,

प्यारे प्यारे प्यारे ॥


अंगूठा छाप सखन को प्यारे,

बन गयो घोड़ा प्यारे,

प्यारे प्यारे प्यारे,

तुझसा दयालु नही प्यारे,

प्यारे प्यारे प्यारे ॥


गोपिन ने तू छाछ पर प्यारे,

नाचे थई थई प्यारे,

प्यारे प्यारे प्यारे,

तुझसा दयालु नही प्यारे,

प्यारे प्यारे प्यारे ॥


तुम कृपालु प्रेमिन वश प्यारे,

अब हूँ जान्यो प्यारे,

प्यारे प्यारे प्यारे,

तुझसा दयालु नही प्यारे,

प्यारे प्यारे प्यारे ॥

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मां बगलामुखी की कथा

देवी बगलामुखी 10 महाविद्याओं में से एक आठवीं महाविद्या हैं, जो पूर्ण जगत की निर्माता, नियंत्रक और संहारकर्ता हैं। उनकी पूजा करने से भक्तों को अपने शत्रुओं पर विजय प्राप्त होती है और जीवन की अनेकों बाधाओं से मुक्ति मिलती है।

परशुराम द्वादशी तिथि और मुहूर्त

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परशुराम द्वादशी की कथा

परशुराम द्वादशी वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि को मनाई जाती है। यह दिन भगवान विष्णु के छठे अवतार, भगवान परशुराम की पूजा को समर्पित है। परशुराम द्वादशी विशेष रूप से संतान प्राप्ति के लिए मनाया जाता है।

संतान प्राप्ति के लिए करें परशुराम द्वादशी व्रत

परशुराम द्वादशी का पर्व भगवान विष्णु के छठे अवतार परशुराम जी को समर्पित है, जो वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि को मनाया जाता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, यह व्रत विशेष रूप से संतान के प्राप्ति की कामना रखने वाले लोगों के लिए फलदायी होता हैं।

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