सारे जग में विराजे रे,
मेरे शिव भोले,
ज्योतिर्लिंग बनके साजे रे,
मेरे शिव भोले,
सारें जग में विराजे रे,
मेरे शिव भोले ॥
सोमनाथ सौराष्ट्र बसे है,
श्री शैलजी मन को जचे है,
मल्लिकार्जुन कहाते रे,
मेरे शिव भोले,
ज्योतिर्लिंग बनके साजे रे,
मेरे शिव भोले,
सारें जग में विराजे रे,
मेरे शिव भोले ॥
ओमकार है ओम्कारेश्वर,
उज्जैनी में महाकालेश्वर,
बड़ी दया बरसाते रे,
मेरे शिव भोले,
ज्योतिर्लिंग बनके साजे रे,
मेरे शिव भोले,
सारें जग में विराजे रे,
मेरे शिव भोले ॥
दर्शन करते सब नारी नर,
नाथ केदारा वाला ऊपर,
नित सुख पहुंचाते रे,
मेरे शिव भोले,
ज्योतिर्लिंग बनके साजे रे,
मेरे शिव भोले,
सारें जग में विराजे रे,
मेरे शिव भोले ॥
गोहाटी में रहे भीमेश्वर,
काशी में विश्वनाथ विश्वेश्वर,
कैसी लीला दिखाते रे,
मेरे शिव भोले,
ज्योतिर्लिंग बनके साजे रे,
मेरे शिव भोले,
सारें जग में विराजे रे,
मेरे शिव भोले ॥
नदी गोदावरी के जो तट पर,
नाम है जिनका त्रयंभकेश्वर,
मेरे मन को भाते रे,
मेरे शिव भोले,
ज्योतिर्लिंग बनके साजे रे,
मेरे शिव भोले,
सारें जग में विराजे रे,
मेरे शिव भोले ॥
चिता की भूमि में प्रकटे जो,
वैद्यनाथ कहलाते है वो,
दुःख रोग मिटाते रे,
मेरे शिव भोले,
ज्योतिर्लिंग बनके साजे रे,
मेरे शिव भोले,
सारें जग में विराजे रे,
मेरे शिव भोले ॥
दारुक वन में है नागेश्वर,
सेतुबंध में श्री रामेश्वर,
विश्वेश्वर सुहाते रे,
मेरे शिव भोले,
ज्योतिर्लिंग बनके साजे रे,
मेरे शिव भोले,
सारें जग में विराजे रे,
मेरे शिव भोले ॥
रावण पूजे राम जी पूजे,
उन्हें ‘निरंजन’ श्याम भी पूजे,
‘लक्खा’ बिगड़ी बनाते रे,
मेरे शिव भोले,
ज्योतिर्लिंग बनके साजे रे,
मेरे शिव भोले,
सारें जग में विराजे रे,
मेरे शिव भोले ॥
सारे जग में विराजे रे,
मेरे शिव भोले,
ज्योतिर्लिंग बनके साजे रे,
मेरे शिव भोले,
सारें जग में विराजे रे,
मेरे शिव भोले ॥
चैत्र नवरात्रि के आठवें दिन मां दुर्गा के आठवें स्वरूप महागौरी की पूजा की जाती है। देवी महागौरी को शक्ति, समृद्धि और पवित्रता का प्रतीक कहा गया है। मां का नाम उनके रंग के आधार पर रखा गया है, जो अत्यंत ही शुभ और तेजस्वी हैं।
चैत्र नवरात्रि की दुर्गाष्टमी के दिन मां महागौरी की पूजा की जाती है, जो मां दुर्गा का आठवां स्वरूप है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, दुर्गाष्टमी पर मां महागौरी की पूजा-अर्चना, साधना करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। साथ ही, जीवन में सुख शांति और समृद्धि बनी रहती है।
चैत्र नवरात्रि के अंतिम यानी नौवें दिन मां सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है। देवी सिद्धिदात्री अपने भक्तों को सभी प्रकार की सिद्धियों को प्रदान करती हैं।
चैत्र नवरात्रि के नौवें दिन देवी सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है, जो मां दुर्गा का नौवां स्वरूप है। मां सिद्धिदात्री शब्द का अर्थ है सिद्धियों को प्रदान करने वाली देवी। इसीलिए मां के इस रूप की पूजा-अर्चना और साधना करने से सभी कार्यों में सिद्धि मिलती है।