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रामजी की सेना चली (Ram Ji Ki Sena Chali)

रामजी की सेना चली (Ram Ji Ki Sena Chali)

हर हर महादेव, हर हर महादेव,

जय भवानी, जय भवानी,

जय भवानी, जय भवानी,

पापियो के नाश को,

धर्म के प्रकाश को,

श्री रामजी की सेना चली,

रामजी की सेना चली ॥


पाप अनाचार में,

घोर अंधकार में,

एक नई ज्योति जली,

श्री राम जी की सेना चली,

रामजी की सेना चली ॥


निशिचर हीन करेंगे धरती,

यह प्रण है श्री राम का,

जब तक काम न पूरण होगा,

नाम नही विश्राम का,

उसे मिटानें चलें की जिसका,

मंत्र वयम रक्षाम का,

समय आ गया निकट राम और,

रावण के संग्राम का,

तीनो लोक धन्य है,

देवता प्रसन्न है,

तीनो लोक धन्य है,

देवता प्रसन्न है,

आज मनोकामना फली,

श्री राम जी की सेना चली,

रामजी की सेना चली ॥


रामचन्द्र जी के संग लक्ष्मण,

कर में लेकर बाण चले,

लिए विजय विश्वास ह्रदय में,

संग वीर हनुमान चले,

सेना संग सुग्रीव, नील, नल,

अंगद छाती तान चले,

उसे बचाए कौन के जिसका,

वध करने भगवान चले,

आगे रघुनाथ है,

वीर साथ साथ है,

एक से एक बलि,

श्री रामजी की सेना चली,

रामजी की सेना चली ॥


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शंख क्यों बजाया जाता है?

धार्मिक कार्यक्रमों और आयोजनों के दौरान हिंदू धर्म में शंख बजाना एक परंपरा है जो युगों-युगों से चली आ रही है। शंख हमारे लिए सिर्फ एक वाद्ययंत्र नहीं हमारी धार्मिक संस्कृति और प्रथाओं का हिस्सा है। यह हमारे लिए आध्यात्मिक चेतना का प्रतीक भी है।

कुंभ मेले का इतिहास

कुंभ मेला भारतीय संस्कृति की अदम्य शक्ति और आध्यात्मिक धरोहर का प्रतीक है। यह महोत्सव ना सिर्फ एक धार्मिक आयोजन है। बल्कि, यह आत्मा की शुद्धि और सामाजिक समरसता का प्रतीक भी है।

कुंभ से जुड़ी पौराणिक कथा

कुंभ मेला भारतीय संस्कृति और पौराणिक इतिहास का प्रतीक है। इसका संबंध समुद्र मंथन की उस घटना से है, जिसमें देवताओं और दैत्यों ने मिलकर अमृत प्राप्त किया था।

विवाह दिन में करें या रात में

हिंदू धर्म में विवाह को एक विशेष संस्कार माना गया है, जो 16 संस्कारों में से एक है। यह ना सिर्फ सामाजिक बंधन है, बल्कि धार्मिक और आध्यात्मिक दृष्टिकोण से भी अत्यधिक महत्वपूर्ण माना गया है।

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