नैनो में तेरी ज्योति,
सांसो में तेरा नाम ॥
दोहा – जय बजरंगी,
भक्तो के संगी,
जय हो वीर हनुमान,
तुमको ही पुजू,
तुमको ही ध्याऊँ,
तुम ही मेरे भगवान ॥
नैनो में तेरी ज्योति,
सांसो में तेरा नाम,
महाबली बजरंगी,
मन में है तेरा धाम,
नैनो मे तेरी ज्योति,
सांसो में तेरा नाम ॥
मेरे जीवन की माला में,
तेरे ही नाम के मोती,
भक्ति से तेरी ही हनुमत,
हर भोर मेरी है होती,
तेरी ही दिन रात साधना,
मेरा यही है काम,
नैनो मे तेरी ज्योति,
सांसो में तेरा नाम ॥
पाया है हनुमान तुम्हे,
स्वयं को मैंने खो कर,
झूठे लगे संसार के रिश्ते,
देखा तुम्हारा हो कर,
जोड़ लिया जब नाता तुमसे,
फिर जग से क्या काम,
नैनो मे तेरी ज्योति,
सांसो में तेरा नाम ॥
नैनो मे तेरी ज्योति,
सांसो में तेरा नाम,
महाबली बजरंगी,
मन में है तेरा धाम,
नैनो मे तेरी ज्योति,
सांसो में तेरा नाम ॥
दिवाली भारतीय संस्कृति का एक महत्वपूर्ण त्योहार है, जो अच्छाई की जीत और बुराई के नाश का प्रतीक है। हर साल कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि को दिवाली का पावन त्योहार मनाया जाता है।
दिवाली का त्योहार भारतीय संस्कृति का सबसे महत्वपूर्ण त्योहार है। पाचं दिन चलने वाले इस त्योहार में प्रत्येक दिन का अपना विशेष महत्व है।
छठ पूजा के पावन पर्व पर व्रती महिलाएं नाक से लेकर मांग तक लंबा सिंदूर लगाती हैं, जिसे पति की लंबी आयु, सम्मान और परिवार की समृद्धि का प्रतीक माना जाता है।
छठ पूजा उत्तर भारत का प्रमुख त्योहार है। जिसमें सूर्य देव और छठी मैया की उपासना की जाती है। इस महापर्व में मिट्टी के हाथी और कोसी भराई की पवित्र परंपरा का विशेष महत्व है।