माँगा है भोलेनाथ से,
वरदान एक ही,
तेरी कृपा बनी रहे,
जब तक है ज़िंदगी,
मांगा है भोलेनाथ से,
वरदान एक ही ॥
जिस पर तुम्हारा हाथ था,
वो पार हो गया,
जो भी शरण में आ गया,
उद्धार हो गया,
जिसने भरोसा कर लिया,
डूबा कभी नहीं,
तेरी कृपा बनी रहे,
जब तक है ज़िंदगी,
मांगा है भोलेनाथ से,
वरदान एक ही ॥
कोई समझ सका नहीं,
माया बड़ी अजीब,
चरणों में जो भी आ गया,
वो तो है खुशनसीब,
इसके तो मर्ज़ी के बिना,
पत्ता हीले नही,
तेरी कृपा बनी रहे,
जब तक है ज़िंदगी,
मांगा है भोलेनाथ से,
वरदान एक ही ॥
ऐसे दयालु बाबा से,
रिश्ता बनाइये,
मिलता रहेगा आपको,
जो कुछ भी चाहिए,
ऐसा करिश्मा होगा जो,
पहले हुआ नहीं,
तेरी कृपा बनी रहे,
जब तक है ज़िंदगी,
मांगा है भोलेनाथ से,
वरदान एक ही ॥
कहते है लोग जिंदगी,
किस्मत की बात है,
किस्मत बनाना भी मगर,
बाबा के हाथ है,
‘बनवारी’ करले तू यकीं,
ज्यादा समय नहीं,
तेरी कृपा बनी रहे,
जब तक है ज़िंदगी,
मांगा है भोलेनाथ से,
वरदान एक ही ॥
माँगा है भोलेनाथ से,
वरदान एक ही,
तेरी कृपा बनी रहे,
जब तक है ज़िंदगी,
मांगा है भोलेनाथ से,
वरदान एक ही ॥
श्रीमद्भगवद भगवत गीता में भगवान कृष्ण कहते हैं ‘जब-जब धर्म की हानि और अधर्म की वृद्धि होगी, तब-तब मैं जन्म लूंगा।’
हरछठ या हलछठ पर्व के दिन व्रत रखने से संतान-सुख की प्राप्ति होती है। अब आपके दिमाग में हरछठ व्रत को लेकर कई सवाल आ रहे होंगे। तो आइए आज भक्त वत्सल के इस लेख में हम आपको बताएंगे कि हरछठ पर्व क्या है और इसमें व्रत रखने से हमें क्यों संतान प्राप्ति होती है?
जन्माष्टमी का त्योहार दो दिन मनाने के पीछे देश के दो संप्रदाय हैं जिनमें पहला नाम स्मार्त संप्रदाय जबकि दूसरा नाम वैष्णव संप्रदाय का है।
भगवान अपने भक्तों को कब, कहा, क्या और कितना दे दें यह कोई नहीं जानता। लेकिन भगवान को अपने सभी भक्तों का सदैव ध्यान रहता है। वे कभी भी उन्हें नहीं भूलते। भगवान उनके भले के लिए और कल्याण के लिए हमेशा तैयार रहते हैं।