मैंने तेरे ही भरोसे हनुमान,
सागर में नैया डाल दई ॥
काहे की या नाव बनाई,
काहे की पतवार,
रामा काहे की लगा दी जंजीर,
सागर में नैया डार दई,
मैने तेरे ही भरोसे हनुमान,
सागर में नैया डाल दई ॥
राम नाम की नाव बनाई,
भक्ति की पतवार,
ओ रामा ज्ञान की लगा दी जंजीर,
सागर में नैया डार दई,
मैने तेरे ही भरोसे हनुमान,
सागर में नैया डाल दई ॥
कौन सखी वामें बैठनहारे,
कौन है खेवनहार,
रामा कौन लगाहे बेड़ा पार,
सागर में नैया डार दई,
मैने तेरे ही भरोसे हनुमान,
सागर में नैया डाल दई ॥
सीता मैया बैठनहारी,
लक्ष्मण खेवनहार,
मोरे राम जी लगावे बेड़ा पार,
सागर में नैया डार दई,
मैने तेरे ही भरोसे हनुमान,
सागर में नैया डाल दई ॥
तुलसीदास आस रघुवर की,
चरणन में बलिहार,
मोरे बालाजी लगाहे बेडा पार,
सागर में नैया डार दई,
मैने तेरे ही भरोसे हनुमान,
सागर में नैया डाल दई ॥
मैंने तेरे ही भरोसे हनुमान,
सागर में नैया डाल दई ॥
माघ अमावस्या को मौनी अमावस्या के नाम से भी जाना जाता है क्योंकि इस दिन मौन साधना करना विशेष लाभदायक माना जाता है। इस साल यह अमावस्या 29 जनवरी 2025 को मनाई जाएगी।
माघ मास की अमावस्या को मौनी अमावस्या कहा जाता है जो पितरों के मोक्ष के लिए विशेष रूप से शुभ माना जाता है। इस दिन पवित्र नदियों में स्नान करके दान करने का महत्व है जिससे पितरों का आशीर्वाद प्राप्त होता है और उनके कष्टों को दूर किया जा सकता है।
नर्मदा के पावन तटों पर माघ मास की मौनी अमावस्या के पावन अवसर पर लाखों श्रद्धालुओं का जमघट लगा रहेगा। इस पावन पर्व पर पुण्य की डुबकी लगाने के लिए दूर-दूर से श्रद्धालु आते हैं।
हिंदू धर्म में सोमवार का दिन विशेष महत्व रखता है। इसे "सोमवार" या "सप्तमी" के नाम से जाना जाता है, और यह विशेष रूप से भगवान शिव और चंद्रमा यानी कि सोम से जुड़ा हुआ है।