माँ अंजनी के लाल,
थोड़ा ध्यान दीजिये,
दे ध्यान दीन दास का,
कल्याण कीजिये,
मां अंजनी के लाल,
थोड़ा ध्यान दीजिये ॥
रहते सदा आप है,
राम नाम में मगन,
कहते लगी है आपको,
श्री राम की लगन,
हमको भी भाव भक्ति का,
वरदान दीजिये,
दे ध्यान दीन दास का,
कल्याण कीजिये,
मां अंजनी के लाल,
थोड़ा ध्यान दीजिये ॥
पैरो में बांध घुँघरू,
करताल हाथ ले,
कीर्तन में आप नाचते,
भक्तो को साथ ले,
हमको एक बार,
अपने साथ लीजिये,
दे ध्यान दीन दास का,
कल्याण कीजिये,
मां अंजनी के लाल,
थोड़ा ध्यान दीजिये ॥
सेवा करूँगा आप का,
गुणगान करूँगा,
मैं आप के आराध्य का भी,
ध्यान धरूंगा,
‘नंदू’ करूँ भजन हमें,
स्वर ताल दीजिये,
दे ध्यान दीन दास का,
कल्याण कीजिये,
मां अंजनी के लाल,
थोड़ा ध्यान दीजिये ॥
माँ अंजनी के लाल,
थोड़ा ध्यान दीजिये,
दे ध्यान दीन दास का,
कल्याण कीजिये,
मां अंजनी के लाल,
थोड़ा ध्यान दीजिये ॥
अखाड़े सनातन धर्म में साधु संतों का बड़ा केंद्र है। यही से साधु संत अपनी दीक्षा पूरी कर संन्यास धारण करते हैं। अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद ने 13 अखाड़ों को मान्यता दे रखी है। यह 13 अखाड़े भी 3 संप्रदाय में बंटे हुए हैं।
प्रयागराज में अब जल्द ही महाकुंभ आरंभ होने जा रहा है और अभी से ही लाखों श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ी है। इस पवित्र नगरी में भक्ति का रंग चरम पर देखने को मिल रहा है। इसी बीच, भक्त वत्सल संस्था एक अद्भुत कार्य कर रही है।
महाकुंभ, भारत की धार्मिक और सांस्कृतिक विरासत का एक अद्भुत संगम है। हर बार जब यह महाकुंभ लगता है, तो लाखों श्रद्धालु दूर-दूर से आकर पवित्र नदियों में स्नान करते हैं और आध्यात्मिक अनुभव प्राप्त करते हैं।
आपने अक्सर साधु-संतों को अजीबोगरीब मुद्राओं में, शरीर को कष्ट देते हुए देखा होगा। क्या आपने कभी सोचा है कि वे ऐसा क्यों करते हैं? क्या आप जानते हैं कि यह सब हठयोग से जुड़ा हुआ है?