लहर लहर लहरा गई रे,
मेरी माँ की चुनरियाँ,
माँ की चुनरियाँ,
मेरी माँ की चुनरियाँ,
लहर लहर लहरा गयी रे,
मेरी माँ की चुनरियाँ ॥
उड़के चुनरिया बरसाने को पहुंची,
उड़के चुनरिया बरसाने में पहुंची,
राधा जी के मन को भा गई रे,
मेरी माँ की चुनरियाँ,
लहर लहर लहरा गयी रे,
मेरी माँ की चुनरियाँ ॥
उड़के चुनरिया अयोध्या को पहुंची,
उड़के चुनरिया अयोध्या में पहुंची,
सिता जी के मन को भा गई रे,
मेरी माँ की चुनरियाँ,
लहर लहर लहरा गयी रे,
मेरी माँ की चुनरियाँ ॥
उड़के चुनरिया हरिधाम को पहुंची,
उड़के चुनरिया हरिधाम में पहुंची,
लक्ष्मी जी के मन को भा गई रे,
मेरी माँ की चुनरियाँ,
लहर लहर लहरा गयी रे,
मेरी माँ की चुनरियाँ ॥
उड़के चुनरिया कैलाश को पहुंची,
उड़के चुनरिया कैलाश में पहुंची,
गौरा जी के मन को भा गई रे,
मेरी माँ की चुनरियाँ,
लहर लहर लहरा गयी रे,
मेरी माँ की चुनरियाँ ॥
उड़के चुनरिया मेवाड़ को पहुंची,
उड़के चुनरिया मेवाड़ में पहुंची,
मीरा जी के मन को भा गई रे,
मेरी माँ की चुनरियाँ,
लहर लहर लहरा गयी रे,
मेरी माँ की चुनरियाँ ॥
उड़के चुनरिया कीर्तन में पहुंची,
उड़के चुनरिया कीर्तन में पहुंची,
भक्तों के मन को भा गई रे,
मेरी माँ की चुनरियाँ,
लहर लहर लहरा गयी रे,
मेरी माँ की चुनरियाँ ॥
लहर लहर लहरा गई रे,
मेरी माँ की चुनरियाँ,
माँ की चुनरियाँ,
मेरी माँ की चुनरियाँ,
लहर लहर लहरा गयी रे,
मेरी माँ की चुनरियाँ ॥
हिंदू धर्म में हर माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को कालाष्टमी का पर्व मनाया जाता है। इसे भैरव अष्टमी के रूप में भी जाना जाता है।
वैदिक पंचांग के अनुसार, हर माह कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को कालाष्टमी का पर्व मनाया जाता है। इस वर्ष यानी 2024 के नवंबर माह में ये तिथि 22 तारीख को पड़ रही है। इस दिन भगवान शिव के रौद्र रूप काल भैरव देव की विधिपूर्वक पूजा की जाती है, जो तंत्र-मंत्र साधकों के लिए विशेष महत्व रखती है।
कालाष्टमी पर्व भगवान शिव के रौद्र रूप काल भैरव की शक्ति और महिमा का प्रतीक है। जब भगवान शिव के क्रोध से काल भैरव का जन्म होता है। काल भैरव समय के भी स्वामी हैं।
धन्य वह घर ही है मंदिर,
जहाँ होती है रामायण,