क्यों छुप के बैठते हो,
परदे की क्या जरुरत,
भक्तों को यूँ सताने की,
भक्तों को यूँ सताने की,
अच्छी नहीं है आदत,
क्यो छुप के बैठते हो,
परदे की क्या जरुरत ॥
माना की मुरली वाले,
बांकी तेरी अदा है,
तेरी सांवरी छवि पे,
सारा ये जग फ़िदा है,
लेकिन हो कारे कारे,
लेकिन हो कारे कारे,
ये भी तो है हकीकत,
क्यो छुप के बैठते हो,
परदे की क्या जरुरत ॥
टेढ़ी तेरी छवि है,
तिरछी है तेरी आँखे,
टेढ़ा मुकुट है सर पे,
टेढ़ी है तेरी बातें,
करते हो तुम क्यों सांवरे,
करते हो तुम क्यों सांवरे,
भक्तो से ये शरारत,
क्यो छुप के बैठते हो,
परदे की क्या जरुरत ॥
हमको बुला के मोहन,
क्यों पर्दा कर लिया है,
हम गैर तो नहीं है,
हमने भी दिल दिया है,
देखूं मिला के नज़रे,
देखूं मिला के नज़रे,
दे दो जरा इजाजत,
क्यो छुप के बैठते हो,
परदे की क्या जरुरत ॥
दिलदार तेरी यारी,
हमको जहाँ से प्यारी,
तेरी सांवरी सलोनी,
सूरत पे ‘रोमी’ वारि,
पर्दा जरा हटा दो,
पर्दा जरा हटा दो,
कर दो प्रभु इनायत,
क्यो छुप के बैठते हो,
परदे की क्या जरुरत ॥
क्यों छुप के बैठते हो,
परदे की क्या जरुरत,
भक्तों को यूँ सताने की,
भक्तों को यूँ सताने की,
अच्छी नहीं है आदत,
क्यो छुप के बैठते हो,
परदे की क्या जरुरत ॥
पंचांग के अनुसार फाल्गुना माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि है। इस तिथि पर उत्तर फाल्गुनी नक्षत्र और शूल योग का संयोग बन रहा है। वहीं चंद्रमा कन्या राशि में हैं और सूर्य मीन राशि में मौजूद हैं।
पंचांग के अनुसार चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि है। इस तिथि पर उत्तर फाल्गुनी नक्षत्र और गण्ड योग का संयोग बन रहा है। वहीं चंद्रमा कन्या राशि में हैं और सूर्य मीन राशि में मौजूद हैं।
पंचांग के अनुसार चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की द्वितीया तिथि है। इस तिथि पर हस्त नक्षत्र और वृद्धि योग का संयोग बन रहा है।
पंचांग के अनुसार चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की तृतीया तिथि है। इस तिथि पर चित्रा नक्षत्र और ध्रुव योग का संयोग बन रहा है। वहीं चंद्रमा तुला राशि में हैं और सूर्य मीन राशि में मौजूद हैं।