हर कदम पे तुम्हे होगा,
आभास सांवरे का,
चाहे कुछ भी हो ना डगमग हो,
विश्वास सांवरे का,
हर कदम पे तुम्हें होगा,
आभास सांवरे का ॥
दुनिया से आँखें बंद करके,
मन की आँखों को खोल ज़रा,
बेमतलब की बातें छोड़ो,
जय बाबा की तू बोल ज़रा,
दिल के अंदर तुम्हे होगा,
एहसास सांवरे का,
हर कदम पे तुम्हें होगा,
आभास सांवरे का ॥
चलकर के देखो तुम एक बार,
मेरे साँवलिये की राहों में,
गिरने के पहले थामेगा,
ये आकर अपनी बाँहों में,
तेरे मन में ही मिलेगा,
तुम्हे वास सांवरे का,
हर कदम पे तुम्हें होगा,
आभास सांवरे का ॥
‘सूरज’ कुछ ऐसा काम करो,
सांवरिया हो तुमसे राजी,
हारे को जो अपनाओगे,
जीतोगे फिर तुम हर बाजी,
बन जायेगा फिर तू,
बड़ा ख़ास सांवरे का,
हर कदम पे तुम्हें होगा,
आभास सांवरे का ॥
हर कदम पे तुम्हे होगा,
आभास सांवरे का,
चाहे कुछ भी हो ना डगमग हो,
विश्वास सांवरे का,
हर कदम पे तुम्हें होगा,
आभास सांवरे का ॥
एकादशी व्रत का हिंदू धर्म में विशेष महत्व है। वर्षभर में कुल 24 एकादशियां होती हैं, जिनमें से प्रत्येक का अपना अलग महत्व होता है। चैत्र शुक्ल पक्ष में आने वाली एकादशी को कामदा एकादशी कहा जाता है।
हिंदू पंचांग के अनुसार, अप्रैल 2025 में चैत्र और वैशाख माह रहेगा। इस दौरान दो महत्वपूर्ण एकादशी व्रत आएंगे—कामदा एकादशी और वरुथिनी एकादशी।
कामदा एकादशी हिंदू धर्म में बहुत ही शुभ मानी जाती है। यह व्रत भगवान विष्णु को समर्पित होता है और इसे करने से व्यक्ति को पापों से मुक्ति मिलती है। इस दिन व्रत रखने और विशेष पूजा-अर्चना करने से जीवन में सुख-समृद्धि और शांति आती है।
एकादशी व्रत का हिंदू धर्म में विशेष महत्व होता है। हर वर्ष 24 एकादशी आती हैं, जिनमें से प्रत्येक का अलग धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व होता है। चैत्र शुक्ल पक्ष में पड़ने वाली एकादशी को कामदा एकादशी कहा जाता है।