गुरु बिन घोर अँधेरा संतो,
गुरु बिन घोर अँधेरा जी ।
बिना दीपक मंदरियो सुनो,
अब नहीं वास्तु का वेरा हो जी ॥
जब तक कन्या रेवे कवारी,
नहीं पुरुष का वेरा जी ।
आठो पोहर आलस में खेले,
अब खेले खेल घनेरा हो जी ॥
मिर्गे री नाभि बसे किस्तूरी,
नहीं मिर्गे को वेरा जी ।
रनी वनी में फिरे भटकतो,
अब सूंघे घास घणेरा हो जी ॥
जब तक आग रेवे पत्थर में,
नहीं पत्थर को वेरा जी ।
चकमक छोटा लागे शबद री,
अब फेके आग चोपेरा हो जी ॥
रामानंद मिलिया गुरु पूरा,
दिया शबद तत्सारा जी ।
कहत कबीर सुनो भाई संतो,
अब मिट गया भरम अँधेरा हो जी ॥
राहु को छाया ग्रह माना जाता है। राहु अपने सहचर के अनुसार फल प्रदान करता है। यानी अगर राहु शुभ ग्रह अथवा राशि में है तो वह अच्छे परिणाम देगा। परंतु अगर वह अशुभ ग्रह के साथ है तो वह अशुभ परिणाम देगा।
केतु फिलहाल कन्या राशि में हैं। नए साल यानी 2025 में केतू पीछे हटकर सिंह राशि में पहुंच जाएंगे। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, केतु एक छाया ग्रह है और यह हमेशा विपरीत यानी उल्टी चाल में चलते हैं।
हिंदू धर्म में ब्रह्मा, विष्णु और महेश को त्रिमूर्ति माना जाता है। ये तीनों देवता सृष्टि के रचनाकार, पालनकर्ता और संहारक हैं। विष्णु और महेश की पूजा तो हर जगह होती है, लेकिन ब्रह्मा जी की पूजा क्यों नहीं होती, यह सवाल अक्सर लोगों के मन में उठता है।
हिंदू धर्म में पूजा-पाठ करने के साथ-साथ व्रत रखने की भी मान्यता है। ऐसा कहा जाता है कि अगर व्रत रखा जाए, तो व्रत का पारण भी विधिवत रूप से करना महत्वपूर्ण माना जाता है। बिना व्रत के पारण के पूजा सफल नहीं मानी जाती है।