गौरा ने घोट कर,
पीस कर छान कर,
शिव को भंगिया पिलाई,
मजा आ गया,
छोड़ कैलाश को,
पहुंचे शमशान में,
गांजे की दम लगायी,
मजा आ गया ॥
जब नशा भांग,
गांजे का चढ़ने लगा,
भोला नचने लगे,
डमरू बजने लगा,
जल चुकी थी चिताएं,
जो शमशान में,
उनकी भस्मी रमाई,
मजा आ गया ॥
बदी फागुन चतुर्दश,
तिथी आई है,
शिव से गौरा मिलन,
की घड़ी आई है,
शिवजी दूल्हा बने,
गौरा दुल्हन बनी,
ऐसी शादी रचाई,
मजा आ गया ॥
भोला धनवान है,
न तो कंगाल है,
शिव महादेव हैं,
शिव महाकाल है,
शिव के चरणों में हम,
आ गये हैं पदम्,
राह मुक्ति की पाई,
मजा आ गया ॥
गौरा ने घोट कर,
पीस कर छान कर,
शिव को भंगिया पिलाई,
मजा आ गया,
छोड़ कैलाश को,
पहुंचे शमशान में,
गांजे की दम लगायी,
मजा आ गया ॥
प्रथम मनाये गणेश के, ध्याऊ शारदा मात,
मात पिता गुरु प्रभु चरण मे, नित्य नमाऊ माथ॥
ओ गणनायक महाराज सुमिरा जोडू दोनों हाथ,
ओ गणनायक महाराज,
गजानंद वंदन करते है ॥
आज सभा में स्वागत है,
जमुना के तट पर,
मारी नजरिया ऐसी सांवरिया ने,