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दुःख की बदली, जब जब मुझ पे छा गई(Dukh Ki Badli Jab Jab Mujhpe Cha Gayi )

दुःख की बदली, जब जब मुझ पे छा गई(Dukh Ki Badli Jab Jab Mujhpe Cha Gayi )

दुःख की बदली,

जब जब मुझ पे छा गई,

सिंह सवारी करके,

मैया आ गई,

वो आ गई वो आ गई,

वो आ गई मेरी माँ,

दुख की बदली,

जब जब मुझ पे छा गई,

सिंह सवारी करके,

मैया आ गई ॥


जब जब संकट आया है,

माँ को सामने पाया है,

दुनिया ने रिश्ते तोड़े,

इसने साथ निभाया है,

रोते हुए को हसा गई,

अपने गले लगा गई,

वो आ गई वो आ गई,

वो आ गई मेरी माँ,

दुख की बदली,

जब जब मुझ पे छा गई,

सिंह सवारी करके,

मैया आ गई ॥


स्वार्थ के संसार में,

तू ही एक सहारा है,

तेरे बिना इस जग में माँ,

कोई नहीं हमारा है,

हारे हुए को जीता गई,

भक्त का मान बढ़ा गई,

वो आ गई वो आ गई,

वो आ गई मेरी माँ,

दुख की बदली,

जब जब मुझ पे छा गई,

सिंह सवारी करके,

मैया आ गई ॥


ये सच्ची दातार है,

इसकी दया अपार है,

इसकी रहमत से चलता,

मेरा घर संसार है,

‘रजनी’ की बिगड़ी बना गई,

हर घड़ी लाज बचा गई,

वो आ गई वो आ गई,

वो आ गई मेरी माँ,

दुख की बदली,

जब जब मुझ पे छा गई,

सिंह सवारी करके,

मैया आ गई ॥


दुःख की बदली,

जब जब मुझ पे छा गई,

सिंह सवारी करके,

मैया आ गई,

वो आ गई वो आ गई,

वो आ गई मेरी माँ,

दुख की बदली,

जब जब मुझ पे छा गई,

सिंह सवारी करके,

मैया आ गई ॥

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प्रयागराज के सुंदर घाट

प्रयागराज में अगले साल 13 जनवरी से 26 फरवरी से कुंभ मेला का आयोजन होने वाला है। इसके लिए तैयारियां जोरों- शोरों से चल रही है। हिंदू धर्म के मुताबिक कुंभ में स्नान करने से पापों से मुक्ति मिलती है और मोक्ष की प्राप्ति होती है।

हाथ में कलावा क्यों बांधते हैं?

कलावा, जिसे रक्षा सूत्र भी कहा जाता है, एक पवित्र धागा है जो विभिन्न धार्मिक अनुष्ठानों में उपयोग किया जाता है। इसे आमतौर पर सूती धागे से बनाया जाता है और इसे लाल, पीला या अन्य शुभ रंगों में रंगा जाता है।

तंत्र साधना के लिए मशहूर है ये अखाड़ा

पंचाग्नि अखाड़ा शैव संप्रदाय के सबसे प्राचीन अखाड़ों में से एक है। इसकी स्थापना 1136 ईस्वी में हुई थी। वर्तमान में इसका मुख्य केंद्र वाराणसी में स्थित है।

इस अखाड़े ने युद्ध में औरंगजेब को हराया

महानिर्वाणी अखाड़ा भारत के प्राचीन और प्रतिष्ठित अखाड़ों में से एक है, जिसका संबंध शैव संप्रदाय से है। अखाड़े का मुख्य केंद्र उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में है। वहीं इसके आश्रम ओंकारेश्वर, काशी, त्र्यंबकेश्वर, कुरुक्षेत्र, उज्जैन व उदयपुर में मौजूद है।

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