कलावा, जिसे रक्षा सूत्र भी कहा जाता है, एक पवित्र धागा है जो विभिन्न धार्मिक अनुष्ठानों में उपयोग किया जाता है। इसे आमतौर पर सूती धागे से बनाया जाता है और इसे लाल, पीला या अन्य शुभ रंगों में रंगा जाता है। कलावा को देवी-देवताओं को अर्पित करने के साथ-साथ उनके आशीर्वाद के रूप से भी धारण किया जाता है। ऐसी मान्यता है कि कलावा व्यक्ति को बुरी नजर और नकारात्मक ऊर्जा से बचाता है। यह शुभता का प्रतीक है और माना जाता है कि यह व्यक्ति के सभी कार्यों में सफलता लाता है। अब ऐसे में हाथ में कलावा पहनने का महत्व और नियम के साथ-साथ विधि क्या है। इसके बारे में ज्योतिषाचार्य त्रिपाठी जी से विस्तार से जानते हैं।
अगर आप कलावा पहने रहें हैं, तो मंत्रों का जाप विशेष रूप से करें।
लाल रंग का कलावा, जो आमतौर पर हाथ में बांधा जाता है, देवी दुर्गा और हनुमान जी की शक्ति का प्रतीक माना जाता है। यह माना जाता है कि यह व्यक्ति के भीतर सकारात्मक ऊर्जा का संचार करता है और शुभ फल लाता है।
हाथ में बंधा लाल कलावा, देवी दुर्गा और हनुमान जी की कृपा का प्रतीक है। यह न केवल व्यक्ति को शक्ति प्रदान करता है बल्कि उसके जीवन में सुख और समृद्धि लाता है। लाल रंग का कलावा, जो देवी दुर्गा और हनुमान जी से जुड़ा है, एक पवित्र धागा है।
महिला नागा साधुओं का अपना अलग संसार है, जो माई बाड़ा के नाम से जाना जाता है। ये साध्वीएं पुरुष नागा साधुओं की तरह ही ईश्वर को समर्पित जीवन जीती हैं, लेकिन उनकी आध्यात्मिक यात्रा एक अलग रंग में रंगी होती है।
प्रयागराज का महाकुंभ फिलहाल पूरी दुनिया में चर्चा का विषय है। महाकुंभ में इस बार भी देश-विदेश से करोड़ों श्रद्धालु पवित्र संगम में स्नान करने के लिए इकट्ठा हुए हैं। महाकुंभ का आयोजन हर 12 साल में एक बार होता है।
पंचांग के अनुसार, इस साल मौनी अमावस्या बुधवार, 29 जनवरी 2025 को है। बता दें कि माघ माह की अमावस्या को ही मौनी अमावस्या भी कहा जाता है। हिंदू धर्म में इस दिन का विशेष महत्व होता है। इसे माघी अमावस्या भी कहा जाता है।
फिलहाल, जोर-शोर से महाकुंभ चल रहा है। इसमें नागा साधु के अलावा विभिन्न प्रकार के साधु-संन्यासी लोगों के आकर्षण का केंद्र बने हुए हैं। देश के कोने-कोने से यहां साधु-संत पहुंचे हैं।