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भ्रमराम्बा देवी शक्तिपीठ, आंध्रप्रदेश (Bhramaramba Devi Shaktipeeth, Andhra Pradesh)

भ्रमराम्बा देवी शक्तिपीठ, आंध्रप्रदेश (Bhramaramba Devi Shaktipeeth, Andhra Pradesh)

भगवान मल्लिकार्जुन स्वामी के मंदिर के अंदर स्थित है भ्रमराम्बा शक्तिपीठ, अरुणासुर को मारने लिया मधुमक्खी अवतार


भ्रमराम्बा देवी मंदिर शक्तिपीठ, आंध्र प्रदेश के श्रीशैलम जिले के नल्लामाला पहाड़ियों पर स्थित है। भ्रमराम्बा देवी मंदिर 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक श्री मल्लिकार्जुन स्वामी मंदिर के भीतर है। भ्रामराम्बा देवी मंदिर, देवी भ्रमारंबिका और भगवान शिव सुन्दर नन्द के रूप में पूजा जाता है। देवी भ्रमारंबिका भगवान मल्लिकार्जुन स्वामी की पत्नी हैं, जो भगवान शिव का स्वरूप हैं।


इस मंदिर में देवी की पूजा ब्रह्माणी शक्ति के रूप में की जाती है। देवी की मूर्ति की आठ भुजाएँ हैं और उन्होंने रेशम की साड़ी पहनी हुई है। मंदिर के गर्भगृह के अंदर संत अगस्त्य की पत्नी लोपामुद्रा की मूर्ति है। गर्भगृह के सामने एक श्रीयंत्र है।


यहां स्थानीय किंवदंती यह है कि दानव अरुणासुर ने दो पैरों और चार पैरों वाले जीवों द्वारा न मारे जाने का वरदान प्राप्त करके क्षेत्र के लोगों और ऋषियों पर अत्याचार किया। देवी सती स्वयं मधुमक्खी के रूप में प्रकट हुईं और उन्होंने छह पैरों वाली हजारों मधुमक्खियों को जन्म दिया। मधुमक्खियों ने अरुणासुर को मार डाला और देवी भ्रमारंबिका के रूप में मल्लिकार्जुन मंदिर के पीछे पवित्र स्थान पर रहती हैं।


एक और कथा के अनुसार,  एक बार गुप्त वंश की राजकुमारी चंद्रावती को पारिवारिक समस्याओं का सामना करना पड़ा और उसने सभी विलासिता को छोड़ने का फैसला किया। वह श्रीशैलम के जंगल में चली गई और दूध और फलों के सहारे रहने लगीं। उसने देखा कि एक गाय दूध नहीं दे रही है। अगले दिन उसे पता चला कि गाय चमेली से ढके लिंग में दूध डाल रही है। चूंकि लिंगम चमेली (मल्लेटीगा) से ढका हुआ है, इसलिए देवता को मल्लिकार्जुन कहा जाता है। 


इस शक्तिपीठ में पूजा करने का समय सुबह 4.30 बजे से रात 10 बजे तक खुला रहता है। श्रीशैलम के लिए सीधी हवाई यात्रा उपलब्ध नहीं है। लेकिन श्रीशैलम से 230 किमी दूर हैदराबाद शहर है जो रेल,सड़क और हवाई तीनों मार्गों से देश-दुनिया से जुड़ा हुआ है। इसके अलावा श्रीशैलम बस कनेक्टिविटी से नेल्लोर और विशाखापट्टनम जैसे शहर से जुड़ा है। निकटतम रेलवे स्टेशन 60 किमी दूर कुंबुम् रेलवे स्टेशन है।


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ललिता देवी मंदिर शक्तिपीठ

मां ललिता देवी का मंदिर देश-विदेश के लाखों श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र है। यह मंदिर 88 हजार ऋषियों की तपस्थली, वेदों और पुराणों की रचना स्थली नैमिषारण्य में स्थित है। मां ललिता देवी को त्रिपुर सुंदरी के नाम से भी जाना जाता है।

सूर्य का कुंभ राशि में प्रवेश

सूर्य हर महीने राशि परिवर्तन करते हैं। इनके राशि बदलने से मनुष्य समेत प्रकृति पर भी प्रभाव पड़ता है। बीते 14 जनवरी को सूर्य ने मकर राशि में प्रवेश किया था। जिसके बाद सूर्य उत्तरायण हो गए और शुभ दिन शुरू हुआ।

कुंभ संक्रांति पौराणिक कथा

आत्मा के कारक सूर्य देव हर महीने अपना राशि परिवर्तन करते हैं। सूर्य देव के राशि परिवर्तन करने की तिथि पर संक्रांति मनाई जाती है। इस शुभ अवसर पर गंगा समेत पवित्र नदियों में स्नान-ध्यान किया जाता है।

कुंभ संक्रांति शुभ योग

आत्मा के कारक सूर्य देव हर महीने अपना राशि परिवर्तन करते हैं। सूर्य देव के राशि परिवर्तन करने की तिथि पर संक्रांति मनाई जाती है। इस शुभ अवसर पर गंगा समेत पवित्र नदियों में स्नान-ध्यान किया जाता है।

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