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दुर्गियाना मंदिर, पंजाब (Durgiana Temple Punjab)

दुर्गियाना मंदिर, पंजाब (Durgiana Temple Punjab)

स्वर्ण मंदिर की तर्ज पर करवाया गया था दुर्गियाना मंदिर का निर्माण, इसे अमृतसर का रजत मंदिर भी कहा जाता है


दुर्गियाना मंदिर अमृतसर में लोहगढ़ के पास स्थित है। इसे लक्ष्मीनारायण मंदिर, दुर्गा तीर्थ और शीतला मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। मंदिर मां दुर्गा को समर्पित है इसलिए इसका नाम दुर्गियाना पड़ा। चैत्र व अश्विन मास के नवरात्रों में यहां लाखों श्रद्धालु पहुंचते हैं।  


मंदिर का निर्माण प्रसिद्ध विचारक श्री गुरु हरसहाय मल कपूर ने श्री हरिमंदिर साहिब की तर्ज पर करवाया था। इस मंदिर का नींव पत्थर 1 जुलाई 1925 को गंगा दशहरा के पावन अवसर पर भारत रत्न पंडित मदन मोहन मालवीय ने रखा था। मंदिर के प्रवेश द्वार के सामने मां वैष्णो शक्ति स्वरूपा जगत जननी ज्वाला मां की अखंड ज्योति प्रज्वलित है। मंदिर में लक्ष्मी नारायण, राधा के संग गिरिराज जी, राम दरबार, सत्यनारायण मंदिर, शीतला मंदिर, शनि मंदिर, वेद कथा भवन, गोस्वामी तुलसीदास मंदिर व अन्य विग्रह सुशोभित है।


कांगड़ा की शैली की चित्रकला और चांदी की नक्काशी


दुर्गियाना मंदिर की वास्तुकला अमृतसर के सर्व प्रसिद्ध स्वर्ण मंदिर की तर्ज पर आधारित है। मंदिर में कांगड़ा शैली की चित्रकला और शीशे का अद्भुत कार्य हर किसी को अपनी ओर आकर्षित करता है। मंदिर के विशाल दरवाजे चांदी के और दीवारे संगमरमर की बनी हुई हैं। चांदी की नक्काशी के कारण इसे रजत या सिल्वर मंदिर भी कहते है। दुर्गियाना मंदिर का निर्माण झील के बिल्कुल बीचों बीच करवाया गया है।


तालाब के बीचों बीच बना लक्ष्मीनारायण मंदिर 


मंदिर में प्रवेश करते ही अखंड प्रज्वलित दिखाई देती है। इस स्थान पर दुर्गा के अन्य रूप कहे जाने वाले शीतला माता की पूजा-अर्चना की जाती है।परिसर में माता सीता और हनुमान के मंदिर भी है। इसी के साथ लक्ष्मीनारायण मंदिर सरोवर के ठीक मध्य में दिखाई देगा जिसकी छतरी और गुम्बद है।  मंदिर तक पहुंचने के लिए एक पुल भी बनाया गया है।


पंजाब में दुर्गियाना देनी मंदिर सिखों के लिए धार्मिक महत्व का स्थान है, इसलिए यहां लंगर और सिख गुरुओं के जन्मदिन जैसे विभिन्न प्रकार के समारोह बहुत बड़े पैमाने पर होते हैं।दुर्गियाना मंदिर में जाने का सबसे सही समय अक्टूबर से फरवरी तक है, जब अमृतसर में मौसम बहुत अच्छा होता है। मार्च से जून तक यहां बहुत गर्मी होती है। 


दुर्गियाना मंदिर कैसे पहुंचे


हवाई मार्ग - दुर्गियाना मंदिर का सबसे नजदीकी हवाई अड्डा श्री गुरु रामदास अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा है। जो लगभग मंदिर से 11 किमी की दूरी पर है। यहां से आप टैक्सी या ऑटो के द्वारा मंदिर पहुंच सकते हैं।


रेल मार्ग - दुर्गियाना मंदिर का सबसे नजदीकी रेलवे स्टेशन अमृतसर रेलवे स्टेशन है। मंदिर रेलवे स्टेशन से 700 मीटर की दूरी पर है। यहां से आप स्थानीय वाहन लेकर भी मंदिर पहुंच सकते हैं।


सड़क मार्ग - अमृतसर के गोल बाग में स्थित दुर्गियाना मंदिर शहर के अंदर और बाहर से आसानी से पहुंचा जा सकता है। यह हाथी गेट के पास स्थित है।


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अक्षय तृतीया पर सोना खरीदना क्यों शुभ

ज्योतिष शास्त्रों के अनुसार, अक्षय तृतीया वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाई जाती है और इस साल अक्षय तृतीया का पर्व विशेष रूप से 30 अप्रैल को मनाया जाएगा।

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हिंदू पंचांग के अनुसार, वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाया जाने वाला यह दिन अत्यंत शुभ माना जाता है। ऐसी मान्यता है कि अक्षय तृतीया पर किए गए पुण्य कर्म, दान और पूजा का फल अक्षय (अविनाशी) होता है।

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अक्षय तृतीया एक अत्यंत शुभ और पवित्र तिथि मानी जाती है। यह वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को आती है, जिसे ‘अबूझ मुहूर्त’ कहा जाता है। यानी इस दिन किसी भी शुभ कार्य के लिए पंचांग देखने की आवश्यकता नहीं होती।

अक्षय तृतीया चालीसा पाठ

अक्षय तृतीया अत्यंत शुभ और फलदायी तिथि मानी जाती है। हिंदू धर्म में यह पर्व विशेष महत्व रखता है, क्योंकि ऐसी मान्यता है कि इस दिन जो भी शुभ कार्य किए जाते हैं, उनका फल अक्षय अर्थात् कभी नष्ट न होने वाला होता है। इस दिन धन, सौभाग्य और समृद्धि के लिए मां लक्ष्मी की विधिवत रूप से पूजा की जाती है।

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