साल में चार नवरात्रि पड़ती है। गुप्त नवरात्रि का पर्व मां दुर्गा देवी के भक्तों के लिए बुहत खास होता है। बस कुछ ही दिनों में अब आषाढ़ मास के गुप्त नवरात्रें शुरु होने वाले है। इस दौरान भक्त मां दुर्गा की 10 महाविद्याओं की पूजा करते हैं। इस नवरात्रि में की जाने वाली पूजा और मनोकामनाओं को गुप्त रखा जाता है। ज्योतिष शास्त्र में गुप्त नवरात्रि का महत्व बताते हुए कुछ गुप्त उपाय भी बताए गए हैं। इन उपायों को करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती है और जीवन के कष्ट मां की कृपा से दूर हो जाते हैं।
चलिए जानतें है गुप्त नवरात्रि में किए जानें वाले उपायों के बारे में
समृद्धि और आनंद के लिए करें ये उपाय
सुख समृद्धि औक सम्मान में बढ़ोतरी के लिए गुप्त नवरात्रि में हर रोज मां दुर्गा के सामने घी का दिया जलाएं और मां को लाल फूलों की माला चढ़ाएं। इसके साथ ही चांदी की कोई वस्तु मां के श्रीचरणों में चढ़ाएं। ऐसा करने से सफलता, खुशी, समृद्धि, आनंद और प्रेम में बढ़ोतरी होती है।
धन, धान्य में वृद्धि के लिए करें ये उपाय
गुप्त नवरात्रि में हर रोज रात को मां आदिशक्ति की पूजा करें और नवरात्रि के पहले दिन 9 गोमती चक्र लेकर मां के पास रख दें। इसके बाद अंतिम दिन की पूजा करने के बाद गोमती चक्र को लाल कपड़े में बांधकर धन के स्थान पर रख दें। ऐसा करने से धन धान्य में वृद्धि होती है और मां दुर्गा की कृपा बनी रहती है।
नौकरी और व्यापार में उन्नति के लिए करें ये उपाय
गुप्त नवरात्रि में दुर्गा सप्तशती के 12वें अध्याय का 21 बार पाठ करें और लौंग कपूर के साथ आरती करें। नवरात्रि के अंतिम दिन देवी दुर्गा के मंदिर में जाकर लाल रंग का झंडा चढ़ाएं। ऐसा करने से घर में खुशियों का आगमन होता है। साथ ही नौकरी व व्यापार में उन्नति होती है।
परिवार में सुख-शांति के लिए करें ये उपाय
परिवार में सुख- शांति के लिए गुप्त नवरात्रि में रात के समय मां आदिशक्ति के सामने घी का दीपक जलाएं और सिंदूर अर्पित करें। इसके साथ ही नौ बताशों में दो लौंग रखें और माता को अर्पित करें। ऐसा करने से तरक्की के रास्ते खुलते हैं और सभी सदस्यों में प्रेम बना रहता है।
घर में लक्ष्मी आगमन के लिए करें ये उपाय
गुप्त नवरात्रि के दौरान 9 दिन तक हवन करें और घी में कमलगट्टों को भिगोकर दुर्गा सप्तशती का पाठ करते हुए आहुति दें। नवरात्रि के अंतिम दिन यानी महानंदा नवमी के दिन नौ कन्याओं को घर में बुलाकर पूरी-सब्जी के साथ मखाने की खीर का भोग लगाएं और दक्षिणा देकर आशीर्वाद लें। ऐसा करने से मां प्रसन्न होगी और घर में लक्ष्मी का आगमन होगा।
प्रदोष व्रत त्रयोदशी के दिन रखा जाता है। इसलिए, इसे त्रयोदशी के नाम से भी जानते हैं। प्रत्येक महीने में दो प्रदोष व्रत पड़ते हैं। एक शुक्ल पक्ष में और एक कृष्ण पक्ष में। इस व्रत में भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा का विधान है।
माता भुवनेश्वरी हिंदू धर्म में पूजी जाने वाली एक प्रमुख देवी हैं, जिन्हें ब्रह्मांड की रानी और सृजन की देवी के रूप में जाना जाता है। उनका नाम "भुवनेश्वरी" दो शब्दों से मिलकर बना है - "भुवन" जिसका अर्थ है ब्रह्मांड और "ईश्वरी" जिसका अर्थ है स्वामिनी।
मां ललिता, जिन्हें त्रिपुर सुंदरी भी कहा जाता है, हिंदू धर्म की प्रमुख देवियों में से एक हैं। वे शक्ति की अधिष्ठात्री देवी हैं और ब्रह्मांड की सर्वोच्च शक्ति का प्रतिनिधित्व करती हैं।
मां चंडी जो विशेष रूप से शक्ति, दुर्गा और पार्वती के रूप में पूजी जाती हैं। उनका रूप रौद्र और उग्र होता है, और वे शत्रुओं का नाश करने वाली, बुराई का विनाश करने वाली और संसार को शांति देने वाली देवी के रूप में पूजा जाती हैं।