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दशमहाविद्या - काली

दशमहाविद्या - काली

दशमहाविद्या में मां काली सर्वप्रथम पूजनीय देवी, देश-विदेशों में भी होती है पूजा


मां दुर्गा के सभी रूपों में काली, कालिका या महाकाली का स्थान बहुत ही खास है। यह दशमहाविद्या में सर्वप्रथम पूजनीय देवी है। काली हिन्दू धर्म की सबसे प्रमुख देवी भी हैं। मृत्यु, काल और परिवर्तन की देवी काली मैया के सबसे विकराल स्वरूपों में से एक है।


जहां मैया के अन्य रूप सुन्दर और सौम्य है। वहीं काली आदिशक्ति दुर्गा माता का काला, विकराल और भयानक रूप है। महाकाली की उत्पत्ति असुरों के संहार के लिए हुई है और काली पूजा बंगाल, ओडिशा और असम में प्रमुखता से की जाती है। सिखों के दसवें गुरु गोविन्द सिंह ने माता की शक्ति का बखान करते हुए चण्डी दी वार नामक प्रसिद्ध ग्रन्थ की रचना की है। दस महाविद्याओं में से एक माता काली का एक स्वरूप वैष्णो देवी में दाईं पिंडी भी है।


माता महाकाली की उत्पत्ति काल से हुई है। इसलिए मां के इस रूप को काली या महाकाली कहा गया है। काली दानवों का नाश करने वाली और बुराई पर अच्छाई की जीत के लिए लड़ने वाली देवी है। महाकाली की पूजा हिन्दू धर्म के अलावा तांत्रिक बौद्ध और अन्य सम्प्रदायों में भी होती है। महाकाली के भयानक रूप में योगिनियों , डाकिनियों, वज्रयोगिनी और क्रोधकाली की पूजा का भी विधान है।



विदेशों में भी होती है काली की आराधना 



तिब्बत में महाकाली को क्रोधकाली, क्रोदिकाली, कालिका, क्रोधेश्वरी, कृष्णा क्रोधिनी आदि नामों से पूजा जाता है। वहीं यूरोप के देशों में माता को सारा या सरला काली के नाम से जाना जाता है। यहां काली पूजा मध्ययुग में रोमन लोगों ने शुरू की है।


पश्चिमी देशों में भी भक्त काली के आधुनिक रूप की आराधना करते हैं। यह नारीवादी विचारधारा के साथ मैया को पूजते हैं। हालांकि इनकी मान्यताओं और हिन्दू परंपराओं बिलकुल भी मेल नहीं है।


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आखिर क्यों मनाया जाता है दिवाली का त्योहार

सालभर के इंतजार के बाद फिर एक बार दिवाली का पर्व पूरे देशभर में धूमधाम और उत्साह के साथ मनाया जाएगा। कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि के दिन दिवाली का पावन पर्व मनाया जाता है।

दिवाली पर मां लक्ष्मी-गणेश जी की पूजा विधि

दिवाली का त्योहार कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि को मनाया जाता है। साल 2024 में दिवाली 31 अक्टूबर को मनाई जाएगी।

दिवाली पर क्यों होती है गणेश जी की पूजा

दिवाली के शुभ अवसर पर मां लक्ष्मी के साथ ही भगवान गणेश जी की पूजा भी की जाती है। गणेश जी को ज्ञान, बुद्धि और समृद्धि का देवता माना जाता है, जबकि मां लक्ष्मी धन और समृद्धि की देवी हैं।

दीपावली पर इस विधि से करें कुबेर महाराज की पूजा

दिवाली पर हम अपने घर में देवी लक्ष्मी के आगमन और उनकी पूजा की पूरी तैयारियां करते हैं। लेकिन मान्यताओं के अनुसार पूजा तभी सफल मानी जाती है जब दिवाली के दिन माता लक्ष्मी के साथ गणेश और भगवान कुबेर का विधिवत पूजन किया जाता है।

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