माघ महीने का महत्व हिंदू धर्म में बहुत अधिक है खासकर जब बात विवाह की आती है। इस महीने में गंगा स्नान और भगवान विष्णु के साथ मां लक्ष्मी की पूजा का विशेष महत्व है। साथ ही दान-पुण्य और मांगलिक कार्यों के लिए यह महीना अत्यंत शुभ माना जाता है। ज्योतिषियों के अनुसार, सूर्य देव के मकर और कुंभ राशि में रहने के दौरान विवाह करना उत्तम होता है। इसलिए फरवरी का महीना विवाह के लिए एक अच्छा समय है। इस महीने में वसंत पंचमी और महाशिवरात्रि जैसे महत्वपूर्ण त्योहार भी मनाए जाते हैं। फरवरी 2025 में विवाह के लिए 12 शुभ मुहूर्त हैं। इसलिए यदि आप अपने विवाह की योजना बना रहे हैं तो फरवरी का महीना एक अच्छा विकल्प हो सकता है। आइये फरवरी माह में पड़ने वाले विवाह के शुभ मुहूर्त के बारे में जानते हैं।
नए साल 2025 में शादी विवाह के लिए कई शुभ मुहूर्त हैं। मकर संक्रांति के साथ ही खरमास का महीना समाप्त हो गया है और इसके साथ ही शुभ और मांगलिक कार्यक्रमों की शुरुआत हो गई है। जनवरी से मार्च तक शादी विवाह के लिए कई शुभ मुहूर्त हैं। इसके बाद 14 मार्च से 13 अप्रैल तक खरमास के कारण शुभ कार्य नहीं होंगे। इसके बाद 14 अप्रैल से 8 जून तक फिर से शादी विवाह के कई शुभ मुहूर्त होंगे। इसके बाद गुरु अस्त होने के कारण शादी विवाह के मुहूर्त बंद हो जाएंगे। इसके बाद साल 2025 में देवउठनी एकादशी यानि 18 नवंबर 2025 से शादी विवाह का दौर फिर से शुरू होगा। ऐसे में फरवरी महीने में शादी कर सकते हैं।
अप्रैल का महीना वसंत ऋतु की सुंदरता और त्योहारों की धूमधाम के साथ एक विशेष महत्व रखता है। यह माह प्रकृति के रंग-बिरंगे रूप को दर्शाता है। इस समय कई धार्मिक और सांस्कृतिक पर्व मनाए जाते हैं जो हमारी संस्कृति और परंपराओं को दर्शाते हैं।
पापमोचनी एकादशी चैत्र मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को मनाई जाती है। यह व्रत भगवान विष्णु को समर्पित है और पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, इस व्रत को करने से व्यक्ति अपने सभी पापों से मुक्त हो जाता है, और मोक्ष की प्राप्ति करता है।
पापमोचनी एकादशी भगवान विष्णु की पूजा को समर्पित है जो चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी को मनाई जाती है। यह उपवास सभी पापों से छुटकारा पाने और मोक्ष प्राप्त करने के लिये रखा जाता है।
पापमोचनी एकादशी व्रत पर भगवान विष्णु की पूजा की जाती है, और इसे पापों से मुक्ति दिलाने वाला व्रत माना गया है। पापमोचनी एकादशी व्रत का वर्णन स्कंद पुराण में किया गया है, जहां इस बात की चर्चा की गई है, की इस व्रत का पालन करने से मनुष्य अपने पिछले जन्मों के दोषों से भी मुक्त हो सकता है।